श्रीषेण
From जैनकोष
== सिद्धांतकोष से == म.पु./62/श्लोक मगध देश का राजा था (340)। आदित्यगति नामक मुनि को आहार देकर भोगभूमि का बन्ध किया (348-350)। एक समय पुत्रों का परस्पर युद्ध होने पर विष खाकर मर गया (352-355)। यह शान्ति नाथ भगवान् का पूर्व का 11वाँ भव है। - देखें शान्तिनाथ ।
पुराणकोष से
(1) आगामी पांचवें चक्रवर्ती । महापुराण 76.482, हरिवंशपुराण 60.563
(2) जम्बूद्वीप के विदेहक्षेत्र सम्बन्धी गन्धिल देश के सिंहपुर नगर का राजा । इसकी रानी सुन्दरी थी । इन दोनों के जयवर्मा और श्रीधर्मा दो पुत्र थे । इसने अपना राज्य छोटे पुत्र श्रीवर्मा को देकर ज्येष्ठ पुत्र जयवर्मा की उपेक्षा की थी जिससे विरक्त होकर वह दीक्षित हो गया था । महापुराण 5.203-208
(3) पुष्करद्वीप के विदेहक्षेत्र सम्बन्धी सुगन्धि देश में श्रीपुर नगर का राजा । इसकी रानी श्रीकान्ता थी । इस राजा ने श्रीवर्मा नामक पुत्र को राज्य देकर श्रीपद्म मुनि से दीक्षा ले ली थी । महापुराण 54.8-10, 36-39, 73-76 देखें श्रीवर्मा - 3
(4) साकेत नगर का राजा । श्रीकान्ता इसकी रानी थी । इन दोनों की दो पुत्रियाँ थी हरिषेण और श्रीषेण । महापुराण 72. 253-254
(5) भरतक्षेत्र के अग देश की राजधानी चम्पा नगरी का राजा । इसकी रानी धनश्री और कनकलता पुत्री थी । महापुराण 75.81-93
(6) हरिविक्रम भीलराज के पुत्र वनराज का मित्र । इसने और इसके साथी लोहजंघ ने हेमाभनगर की कन्या श्रीचन्द्रा का हरण करके और उसे सुरंग से लाकर वनराज को समर्पित की थी । महापुराण 75.478-493
(7) रत्नपुर नगर का राजा । इसकी दो रानियाँ थी― सिंहनन्दिता और अनिन्दिता । इन दोनों रानियों के इन्द्रसेन और उपेन्द्रसेन नाम के दो पुत्र थे । यह राजा अपने पुत्रों के बीच उत्पन्न हुए विरोध को शान्त न कर सकने से विश्व-पुष्य सूँघकर मरा था । इसकी दोनों रानियाँ भी विष-पुष्प सूँघकर निष्प्राण हो गयी थी । महापुराण 62.340-377, पांडवपुराण 4.203-212
(8) श्रीपुर नगर का राजा । इसने मेघरथ मुनि को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । महापुराण 63. 332-335