समवसरण व्रत
From जैनकोष
एक वर्ष पर्यन्त प्रत्येक चतुर्दशी को एक उपवास करे। इस प्रकार 24 उपवास करे। तथा ओं ह्रीं जगदापद्विनाशाय सकलगुणकरण्डाय श्री सर्वज्ञाय अर्हत्परमेष्ठिने नम: इस मन्त्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रतविधान सं./85)
एक वर्ष पर्यन्त प्रत्येक चतुर्दशी को एक उपवास करे। इस प्रकार 24 उपवास करे। तथा ओं ह्रीं जगदापद्विनाशाय सकलगुणकरण्डाय श्री सर्वज्ञाय अर्हत्परमेष्ठिने नम: इस मन्त्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रतविधान सं./85)