स्फुरत्पीठ
From जैनकोष
एक पर्वत । इसका दूसरा नाम सुन्दरपीठ है । देव और विद्याधर राजाओं ने यहाँ एक हजार आठ कलशों से राम-लक्ष्मण का अभिषेक किया था । लक्ष्मण ने कोटिशिला यही उठाई थी । यहाँ के निवासी सुनन्द यक्ष ने लक्ष्मण को सौनन्दक खड़ग भी यही दिया था । महापुराण 68.643-646