अंत
From जैनकोष
राजवार्तिक अध्याय संख्या २/२२/१/१३४/२९ अयमन्तशब्दोऽनेकार्थः। क्वचिदवयवे, यथा वस्त्रान्तः वसनान्तः। क्वचित्सामीप्ये, यथोदकान्तं गतः उदकसमीपे गत इति। क्वचिदवसाने वर्तते, यथा संसारान्तं गतः संसारावसानं गत इति।
= अन्त शब्द के अनेक अर्थ हैं। १. कहीं तो अवयव के अर्थ में प्रयोग होता है - जैसे वस्त्र के अन्त अर्थात् वस्त्र के अवयव. २. कहीं समीपता के अर्थ में प्रयोग होता है - जैसे `उदकान्तंगतः' अर्थात् जलके समीप पहुँचा हुआ। ३. कहीं समाप्ति के अर्थ में प्रयोग होता है - जैसे `संसारान्तगत' अर्थात् संसार की समाप्ति को प्राप्त।
न्यायदीपिका अधिकार ३/७६/११७ अनेक अन्ता धर्माः सामान्यविशेषपर्यायगुणा यस्येति सिद्धोऽनेकान्तः।
- अनेक अन्त अर्थात् धर्म (इस प्रकार अन्त शब्द धर्मवाचक भी है)।
- गणित के अर्थ में भूमि अर्थात् Last term or the last digit in numerical series - देखे गणित II/५/३।