लघुविधि
From जैनकोष
हरिवंशपुराण/34/92-95 उपरोक्तवत् ही विधि है। अन्तर केवल इतना है कि यहां उपवास का ग्रहण न करने। केवल ग्रासों का वृद्धिक्रम ग्रहण करना।
हरिवंशपुराण/34/92-95 उपरोक्तवत् ही विधि है। अन्तर केवल इतना है कि यहां उपवास का ग्रहण न करने। केवल ग्रासों का वृद्धिक्रम ग्रहण करना।