वैकालिक
From जैनकोष
गोम्मटसार जीवकाण्ड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/367/790/6 विशिष्टाः काला विकालास्तेषु भवानि वैकालिकानि। दश वैकालिकानि वर्ण्यन्तेऽस्मिन्निति दशवैकालिकं तच्च मुनिजनानां आचरणगोचरविधिं पिण्डशुद्धिलक्षणं च वर्णयति। = विशेष रूप काल को विकाल कहते हैं। उस काल के होने पर जो होते हैं वे वैकालिक कहलाते हैं। इसमें दश वैकालिक का प्ररूपण है, इसलिए इसका नाम दशवैकालिक प्रकीर्णक है। इसमें मुनियों के आचार व आहार की शुद्धता और लक्षण का प्ररूपण है।