सुगत
From जैनकोष
समाधिशतक/ टी./2/223/2 शोभनं गतं ज्ञानं यस्यासौ सुगत:, सुष्ठु वा अपुनरावर्त्यगति गतं, सम्पूर्णं वा अनन्तचतुष्टयं गत: प्राप्त: सुगत:। =जिसका ज्ञान शोभा को प्राप्त हुआ है वह सुगत है। अथवा जो उत्तम मोक्ष गति को प्राप्त हुआ है, अथवा जिसमें सम्पूर्ण अनन्त चतुष्टय प्राप्त हुए हैं, वह सुगत है। ( द्रव्यसंग्रह टीका/14/47 )।