नंदन
From जैनकोष
- वर्द्धमान भगवान् का पूर्व का दूसरा भव । एक सज्जन के पुत्र थे‒देखें महावीर
- भगवान् के तीर्थ में एक अनुत्तरोपपादिक‒देखें अनुत्तरोपपादिक ,
- सौधर्म स्वर्ग का सातवाँ पटल‒देखें स्वर्ग - 53;
- मानुषोत्तर पर्वत का एक कूट व उस पर निवासिनी एक सुपर्ण कुमारी देवी। (देखें लोक - 5.10)
- सुमेरु पर्वत का द्वितीय वन जिसके चारों दिशाओं में चार चैत्यालय हैं‒देखें लोक - 3.6।
- सौमनस व नन्दन वन का एक कूट‒देखें लोक - 5.5,
- विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर।‒देखें विद्याधर ।