अर्चट
From जैनकोष
आप एक बौद्ध नैयायिक थे। अपर नाम धर्माकरदत्त था। आप धर्मोत्तरके गुरु थे। कृतियाँ १. हेतु बिन्दु टीका; २. क्षणभङ्गसिद्धि; ३. प्रमाणद्वय सिद्धि। समय-ई.श.७-८./.
(सिद्धिविनिश्चय प्रस्तावना ३२/पं.महेन्द्रकुमार)।
आप एक बौद्ध नैयायिक थे। अपर नाम धर्माकरदत्त था। आप धर्मोत्तरके गुरु थे। कृतियाँ १. हेतु बिन्दु टीका; २. क्षणभङ्गसिद्धि; ३. प्रमाणद्वय सिद्धि। समय-ई.श.७-८./.
(सिद्धिविनिश्चय प्रस्तावना ३२/पं.महेन्द्रकुमार)।