अविनिघोष
From जैनकोष
1. मानुषोत्तर पर्वतस्थ अज्जनकूटका स्वामी भवनवासी सुपर्णकुमार देव। देखें लोक - 5.10.2. (स.पु.59/212-218) पूर्व पापके कारण हाथी हुआ, मुनिद्वारा संबोधे जानेपर अणुव्रत धारण कर लिया। पूर्व बैरी सर्पके डस लेनेसे मरकर स्वर्गमें श्रीधर देव हुआ। वह संजयंत मुनिका पूर्वका सातवाँ भव है।