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From जैनकोष
(सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ५/६/२७२/२) `आङ्' अयमभिविध्यर्थः।
= `आङ्' यह अभिविधि अर्थमें आया है। (अर्थात् `आ' पद `तक' अर्थमें सीमाका प्रयोजक है)
(सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ५/६/२७२/२) `आङ्' अयमभिविध्यर्थः।
= `आङ्' यह अभिविधि अर्थमें आया है। (अर्थात् `आ' पद `तक' अर्थमें सीमाका प्रयोजक है)