गुणत्व
From जैनकोष
(वैशे.द./1-2/सूत्र 13 तथा गुणेषु भावात् गुणत्वम् ।13।=संपूर्ण गुणों में रहने वाला गुणत्व द्रव्य गुण कर्म से पृथक् है।
(वैशे.द./1-2/सूत्र 13 तथा गुणेषु भावात् गुणत्वम् ।13।=संपूर्ण गुणों में रहने वाला गुणत्व द्रव्य गुण कर्म से पृथक् है।