तत्प्रदोष
From जैनकोष
गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/800/979/9 तत्प्रदोषतत्वज्ञाने हर्षाभाव:।=तत्वज्ञान में हर्ष का न होना तत्प्रदोष कहलाता है।
गोम्मटसार कर्मकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/800/979/9 तत्प्रदोषतत्वज्ञाने हर्षाभाव:।=तत्वज्ञान में हर्ष का न होना तत्प्रदोष कहलाता है।