परवाद
From जैनकोष
धवला 13/5,5,50/288/1 ‘‘मस्करी-कणभक्षाक्षपाद-कपिल-शौद्धोदनि-चार्वाक-जैमिनिप्रभृतयस्तद्दर्शनानि च परोद्यंते दूष्यंते अनेनेति परवादो राद्धांतः। परवादो ति गदं।’’ = मस्करी, कणभक्ष, अक्षपाद, कपिल, शौद्धोदनि, चार्वाक और जैमिनि आदि तथा उनके दर्शन जिनके द्वारा ‘परोद्यंते’ अर्थात् दूषित किये जाते हैं, वह राद्धांत (सिद्धांत) परवाद कहलाता है। इस प्रकार परवाद का कथन किया।