प्रियमित्रा
From जैनकोष
(1) एक गणिनी (आर्यिका) । इसने विजयार्ध पर्वत के वस्त्वालय नगर के राजा सेंद्रकेतु की पुत्री मदनवेगा को दीक्षा दी थी । महापुराण 63. 249-253
(2) सेठ कुबेरदत्त के पुत्र प्रीतिकर कुमार की बड़ी मां । अपर नाम प्रियमित्रिका । महापुराण 76.331-333
(3) राजा मेघरथ की पत्नी, नंदिवर्धन की जननी । यह अत्यधिक रूपवती धी । देव-सभा में इसके सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर रतिषेणा और रति नाना दो देवियाँ इसका रूप देखने के लिए स्वर्ग से आयी थीं । तैल मर्दन कराती हुई इसे देखकर वे देवियाँ संतुष्ट हुई किंतु सुसज्ज अवस्था में इससे मिलकर उन्हें प्रसन्नता नहीं हुई थी । वे इसके बाद नश्वर रूप को धिक्कारती हुई वहाँ से चली गयीं । महापुराण 63.147-148, 288-295 राजा और रानी दोनों विरक्त हो गये और राजा ने अपने पुत्र को राज्य देकर संयम धारण कर लिया । पांडवपुराण 5.78-95