उत्तरपुराण
From जैनकोष
- आचार्य जिनसेन (ई. ८१८-८७८) के `आदिपुराण' की पूर्तिके अर्थ उनके शिष्य आचार्य गुणभद्र (ई. ८९८) ने इसे लिखा था। इसमें भगवान् ऋषभदेवके अतिरिक्त शेष २३ तीर्थंकरोंका वर्णन है। वास्तवमें आचार्य गुणभद्र भी स्वयं इसे पूरा नहीं कर पाये थे। अतः इस ग्रन्थके अन्तिम कुछ पद्य उनके भी शिष्य लोकचन्द्रने ई. ८९८ में पूरे किये थे। इस ग्रन्थमें २९ पर्व हैं तथा ८००० श्लोक प्रमाण है। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, पृष्ठ संख्या ३/९) २. आचार्य सकलकीर्ति (ई. १४०६-१४४२) द्वारा रचित दूसरा उत्तर पुराण है। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, पृष्ठ संख्या ३/३३३)