उत्सर्ग
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या १/३३/१४०/९ द्रव्यं सामान्यमुत्सर्गः अनुवृत्तिरित्यर्थः।
= द्रव्यका अर्थ सामान्य, उत्सर्ग और अनुवृत्ति है। उसको विषय करनेवाला नय द्रव्यार्थिकनय है।
दर्शनपाहुड़ / मूल या टीका गाथा संख्या २४/२१/२० सामान्योक्तो विधिरुत्सर्गः।
= सामान्य रूपसे कही जानेवाली विधिको उत्सर्ग कहते हैं।
- अप्रत्यवेक्षित अप्रमार्जितोत्सर्ग
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ७/३४/३७०/११ अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितायां भूमौ मूत्रपुरीषोत्सर्गः अप्रत्ययवेक्षिताप्रमार्जितोत्सर्गः।
= बिना देखी और बिना प्रमार्जित (पीछी आदिसे झाड़ी गयी) भूमिमें मलमूत्रका त्याग करना अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितोत्सर्ग है।