मैनासुंदरी
From जैनकोष
मालव देश में उज्जैनी नगरी के राजा पहुपाल की पुत्री थी । पिता के सन्मुख कर्म की बलवत्ता का बखान करने के कारण क्रोधवश पिता ने कुष्टी के साथ विवाह दी । पति की खूब सेवा की, तथा मुनियों के कहने पर सिद्धचक्र विधान करके उसके गंधोदक द्वारा उसका कुष्ट दूर किया । अंत में दीक्षा धारण करके स्त्रीलिंग का छेद कर सोलहवें स्वर्ग में देव हुआ । (श्रीपालचरित्र)।