मंगल-द्रव्य
From जैनकोष
समवसरण-भूमि के गोपुरों की शोभा-विधायक वस्तुएँ । ये भृंगार, कलश आदि के रूप में एक सो आठ होती हैं । मुख्य रूप से अष्ट मंगल द्रव्य ये हैं― पंखा, छत्र, चँमर, ध्वजा, दर्पण, सुप्रतिष्ठक, भृंगार और कलश । जन्म लेते ही तीर्थंकरों को जब इंद्राणी इंद्र को देती है तब दिक्कुमारियों इन्हीं अष्ट मंगल द्रव्यों को अपने हाथों में लेकर, इंद्राणी के आगे चलती हैं । महापुराण 22. 143, 275, हरिवंशपुराण 2.72, वीरवर्द्धमान चरित्र 8.84-85