वज्रमध्य
From जैनकोष
(1) एक विद्याधर राजा । यह अपने पुत्र प्रमोद को राक्षसवंश की संपदा सौंपकर तपस्वी हो गया था । पद्मपुराण 5.395
(2) दैत्यराज मय का मंत्री । पद्मपुराण 8.43
(3) एक व्रत । इसमें आरंभ में पांच और पश्चात् एक-एक कम करते हुए अंत में एक उपवास करने के पश्चात् एक-एक उपवास को बढ़ाते हुए अंत में पांच उपवास किये जाते हैं इस प्रकार कुल उनतीस उपवास और नौ पारणाएँ की जाती हैं । हरिवंशपुराण 34.62-63