ग्रन्थ:बोधपाहुड़ गाथा 5
From जैनकोष
मणवयणकायदव्वा आयत्त१ जस्स इन्दिया विसया ।
आयदणं जिणमग्गे णिद्दिट्ठं संजयं रूवं ॥५॥
मनोवचनकायद्रव्याणि आयत्त: यस्य ऐन्द्रिया: विषया: ।
आयतनं जिनमार्गे निर्दिष्टं संयतं रूपम् ॥५॥
(१) आगे प्रथम ही जो आयतन कहा उसका निरूपण करते हैं -
हरिगीत
आधीन जिनके मन-वचन-तन इन्द्रियों के विषय सब ।
कहे हैं जिनमार्ग में वे संयमी ऋषि आयतन ॥५॥