श्रीधर
From जैनकोष
== सिद्धांतकोष से ==
- गणित तथा ज्योतिष विद्या के विद्वान् दिगंबराचार्य। कृति - गणितसार संग्रह, ज्योतिर्ज्ञानविधि, जातक तिलक, लीलावती (कन्नड़)। समय - रचनाकाल ई.799-865। (ती./3/191)
- 'सुकुमाल चरिउ' के कर्ता अपभ्रंश कवि। समय - ग्रंथ रचनाकाल ई.1151। (ती./3/188)।
- पासणाह चरिउ तथा वड्ढमाण चरिउ के रचयिता एक भाग्य व पुरुषार्थ उभयवादी। हरियाणावासी बुध गोल्ह के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1189। (ती./4/134)।
- ‘भविसयंत चरिउ’ के रचयिता अपभ्रंश कवि दिगंबर मुनि। माथुरवंशीय नारायण के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1200। (ती./4/145)।
- ‘सुकुमाल चरिउ’ के रचयिता एक अपभ्रंश कवि गृहस्थ। साहू पाथी के पुत्र। समय - ग्रंथ रचनाकाल वि.1208। (ती./4/149)।
- सेनसंघी मुनिसेन के शिष्य, काव्य शास्त्रज्ञ। कृति - विश्वलोचन कोश। (ती./3/188)।
- भविष्यदत्त चरित्र तथा श्रुतावतार के रचयिता। समय - ई.श.14। (ती./3/187)।
पुराणकोष से
(1) विजवार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का दसवां नगर । महापुराण 19. 40, 53
(2) भरतक्षेत्र संबंधी जयंत नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी तथा विमलश्री पुत्री थी । महापुराण 71. 452-453, हरिवंशपुराण 60. 117
(3) एक मुनि । ये मगध देश में राजगृह नगर के राणा विश्वभूति के दीक्षागुरु थे । महापुराण 74.86, 91, वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 15-17
(4) राजा सोमप्रभ के पुत्र जयकुमार का पक्षधर एक राजा । महापुराण 44.106-107, पांडवपुराण 3. 56, 94-95
(5) तीर्थंकर ऋषभदेव के पूर्व भव का जीव-ऐशान स्वर्ग के श्रीप्रभ विमान का ऋद्धि धारी देव । महापुराण 9. 182, 185, हरिवंशपुराण 9. 59, 27. 68
(6) श्रीधर और धर्म दो चारण मुनियों में प्रथम मुनि । इन्होंने गंधमादन पर्वत पर पर्व तक भील को व्रत धारण कराया था । हरिवंशपुराण 60. 10, 16-18
(7) कृष्ण की पटरानी सत्यभामा के पूर्वभव के जीव हरिवाहन विद्याधर के पिता, अलका नगरी के राजा महाबल के दीक्षा गुरु एक चारण मुनि । हरिवंशपुराण 60. 17-19
(8) एक मुनि । गांधारी नगरी के राजा रुद्रदत्त की रानी विनयश्री इन्हें आहार देकर उत्तर कुरुक्षेत्र में आर्या हुई थी । हरिवंशपुराण 60.86-88
(9) पुष्करद्वीप में मंगलावती देश के रत्नसंचय नगर का राजा । इसकी दो रानियाँ थीं― मनोहरा और मनोरमा । इन रानियों से क्रमश: इसके दो पुत्र हुए थे― बलभद्र श्रीवर्मा और नारायण विभीषण । इन्होंने श्रीवर्मा को राज्य देकर सुधर्माचार्य से दीक्षा ले ली थी तथा सिद्ध पद पाया था । महापुराण 7. 14-16
(10) सुरम्य देश के श्रीपुर नगर का राजा । श्रीमती इसकी रानी और जयवती पुत्री थी । महापुराण 47.14
(11) प्रथम स्वर्ग के श्रीप्रभ विमान का देव । यह पुष्करद्वीप के सुगंधि देश में श्रीपुर नगर के राजा श्रीषेण के पुत्र श्रीवर्मा का जीव था । महापुराण 54.8-10, 25, 36, 68, 82
(12) एक मुनि । इनसे धर्मश्रवण कर पूर्वधातकीखंड के मंगलावती देश में रत्नसंचय नगर के राजा कनकप्रभ ने संयम धारण किया था । महापुराण 54.129-130, 143
(13) भरतक्षेत्र के भोगवर्धन नगर का राजा । यह तारक का पिता था । महापुराण 58.91
(14) सहस्रार स्वर्ग के रविप्रिय विमान का एक देव । महापुराण 59.219
(15) किन्नरगीत नगर का राजा । विद्या इनकी रानी तथा रति पुत्री था । पद्मपुराण 5.366
(16) सीता स्वयंवर में सम्मिलित एक नृप । पद्मपुराण 28.215
(17) लक्ष्मण और उसकी रानी विशल्या का पुत्र । पद्मपुराण 94.27-28, 30