सुयशोदत्त
From जैनकोष
काशी देश की श्रावस्ती नगरी का मंत्री । इसने कारण पाकर जिनदीक्षा धारण कर ली थी । किसी व्याध ने इसे पूजा के किए आयी स्त्रियों से घिरा हुआ देखकर कर्कश वचन कहे थे । उन वचनों को सुनकर इसके मन में क्रोध उत्पन्न हो गया था । इसी क्रोध कषाय के कारण यह कापिष्ठ स्वर्ग का देव न होकर ज्योतिष्क देव हुआ । पद्मपुराण 6.317-325