सुरेंद्रदत्त
From जैनकोष
(1) श्रावस्ती नगरी का राजा । इसने तीर्थंकर संभवनाथ को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । महापुराण 49.38-39
(2) जंबूद्वीप की विनीता नगरी का निवासी एक मेंठ । यह अर्हत् पूजा की सामग्री के लिए प्रतिदिन दस, अष्टमी को सोलह, अमावस को चालीस और चतुर्दशी को अस्सी दीनारों का व्यय करता था । इसने पूजा करके ‘धर्मशील’ नाम से प्रसिद्धि प्राप्त की थी । यह बत्तीस करोड़ दीनारों का धनी था । जैनधर्म पर इसको अपूर्व भक्ति थी । महापुराण 70.147-150, हरिवंशपुराण 18.97-98
(रे) प्रियंगुनगर का सेठ । यह चारुदत्त के पिता का मित्र था । चारुदत्त को इसने अपने यहाँ बहुत दिनों तक सुखपूर्वक रखा था । हरिवंशपुराण 21. 78