कालवाद
From जैनकोष
कालवाद का मिथ्या निर्देश
गो.क./मू./८७९/१०६५ कालो सव्वं जणयदि कालो सव्व विणस्सदे भूदं। जागत्ति हि सुत्तेसु वि ण सक्कदे वंचिदुं कालो।८७९।=काल ही सर्व कौ उपजावै है काल ही सर्व कौ विनाशै है। सूताप्राणिनि विषैं भी काल ही प्रगट जागै है काल के ढिगने कौं वंचने कौं समर्थ न होइए है। अैसें काल ही करि सबकौं मानना सो कालवाद का अर्थ जानना।८७९।
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