कालानुयोग
From जैनकोष
- जीवों के अवस्थान काल विषयक सामान्य व विशेष आदेश प्ररूपणा
प्रमाण—1.(ष.ख.4/1,5,33-342/357-488); 2. (ष.ख./2,8,1-55/पु.7/पृ.462-477); 3. (ष.ख./2,2,1-216/114-185)
संकेत—देखें काल - 6.1 काल विशेषों को निकालने का स्पष्ट प्रदर्शन—देखें काल - 5
1. गति मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
|||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
|||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
|||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
नरक गति— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
नरकगति सामान्य |
... |
|
2 |
सर्वदा |
प्रवेशांतर काल से अवस्थान काल अधिक है |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
2-3 |
10000 वर्ष |
|
33 सागर |
|
|
1ली पृथिवी |
... |
|
2 |
सर्वदा |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
5-6 |
10000 वर्ष |
|
1 सागर |
|
|
2-7 पृथिवी |
... |
|
2 |
सर्वदा |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
8-9 |
1-22 सागर |
क्रमश: 1,3,7,10,22 सागर |
3-33 सागर |
क्रमश: 3,7,10,1722,33 सागर |
|
नरक सामान्य |
1 |
33 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
34-35 |
|
अंतर्मू. |
28/ज 3 या 4थे से गिरकरपुन: चढ़े |
33 सागर |
7वें नरक की पूर्ण आयु मिथ्यात्व सहित बीते |
|
नरक सामान्य |
2-3 |
36 |
|
|
मूलोघवत् |
|
मूलोघवत् |
36 |
|
|
मूलोघवत् |
|
मूलोघवत् |
|
नरक सामान्य |
4 |
37 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
38-39 |
|
अंतर्मू. |
28/ज 1ले 3रे से 4थे में जा पुन: गिरे |
33सागर-6 अंतर्मुहूर्त |
7वें नरक में उत्पन्न 28/ज.मिथ्यादृ पर्याप्तिपूर्ण कर वेदकसम्यक्त्वी हो अंतर्मुहूर्त आयु शेष रहने पर पुन: मिथ्यात्वी हुआ |
|
1-7 पृथिवी |
1 |
40 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
41-42 |
|
अंतर्मू. |
नरक सामान्यवत् |
क्रमश: 1,3,7,10,17,22,33 सागर |
नरक सामान्यवत् |
|
1-7 पृथिवी |
2-3 |
43 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
43 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
1-7 पृथिवी |
4 |
44 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
45-46 |
|
अंतर्मु. |
नरक सामान्यवत् |
क्रमश: 1,3,7,10,17सा.22सा.3अ.33सा.-6अंतर्मु. |
पूर्ण स्थिति से पर्याप्तिकाल व अंतिम अंतर्मुहूर्त हीन। |
|
2. तिर्यंच गति |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
तिर्यंच सामान्य |
... |
|
4-5 |
सर्वदा |
प्रवेशांतर काल से अवस्थानकाल अधिक है |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
11-12 |
1 क्षुद्रभव |
मनुष्यसे आकर कर्मभूमि में उपजे तो |
असं. पु. परि. |
अन्य गतियों से आकर कर्मभूमिज तिर्यंचों में परिभ्रमण |
|
पंचेंद्रिय सामा. |
... |
|
4-5 |
सर्वदा |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
14-15 |
1 क्षुद्रभव |
अपर्याप्तक की अपेक्षा |
3पल्य+95को.पू. |
परिभ्र.के पश्चा.उत्तमभोगभू.में देव हुआ |
|
पंचेंद्रिय पर्याप्त. |
... |
|
4-5 |
|
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
14-15 |
अंतर्मु. |
पर्याप्तक की अपेक्षा |
3पल्य+47को.पू. |
परिभ्र.के पश्चा.उत्तमभोगभू.में देव हुआ |
|
पंचेंद्रिय योनिगति |
... |
|
4-5 |
सर्वदा |
काल से अवस्थानकाल अधिक है |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
14-15 |
अंतर्मु. |
पर्याप्तक की अपेक्षा |
3पल्य+15को.पू. |
परिभ्र.के पश्चा.उत्तमभोगभू.में देव हुआ |
|
पंचेंद्रिय नपुंसक वेदी |
... |
|
4-5 |
सर्वदा |
... |
... |
... |
|
14-15 |
... |
... |
8 कोड़ पूर्व |
परिभ्रमण (कर्मभूमि में) |
|
पंचेंद्रिय लब्ध्यपर्याप्त |
... |
|
4-5 |
सर्वदा |
तिर्यं.सा.वत् |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
17-18 |
क्षुद्रभव |
अविवक्षि.तिर्यं.पर्या.से आना |
अंतर्मुहूर्त |
अविवक्षि.तिर्यं.से आकर पंचे.होना |
|
तिर्यंच सामान्य |
1 |
47 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
48-49 |
|
अंतर्मु. |
28/ज.3,4,5वें से 1ला हो पुन: ऊपर चढ़े |
असं. पुद्गलपरिव. |
अनादि मिथ्यादृष्टि तिर्यंचों में उपज वहाँ इतने काल पर्यंत परिभ्रमण कर अन्य गति को प्राप्त हुआ |
|
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
|||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
|||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
|||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
|
2-3 |
50 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
50 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
|
4 |
51 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
52-53 |
|
अंतर्मु. |
1,3,5में से 4थे में आ पुन: लौटे |
3 पल्य |
बद्धायुष्कक्षा. सम्य.भोगभूमि.तिर्यंच हुआ |
|
|
5 |
54 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
55-56 |
|
अंतर्मुहूर्त |
उपरोक्तवत् पर 28/ज.की अपेक्षा |
1को.पू.-3अंतर्मुहूर्त |
28/ज.सम्मूर्च्छिम पर्याप्त मच्छमेंढक आदि कहो 3अंत में पर्याप्तिपूर्ण कर संयातासंय हो भव के अंत तक रहा |
|
पंचेंद्रिय सामान्य |
1 |
57 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
58-59 |
|
अंतर्मु. |
तिर्यंच सामान्यवत् |
3पल्य+95को.पू.+अंतर्मुहूर्त |
संज्ञी, असंज्ञी व तीनों वेद इन स्थानों में से प्रत्येक में 8को.पू.=48को.पू.; ल.अप.में अंतर्मु., पुन: उपरोक्तवत् 3वेदों में 47को.पू.,फिर भोगभूमि में उपजा |
|
|
2-3 |
60 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
60 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
|
4 |
61 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
62-63 |
|
अंतर्मु. |
तिर्यंच सामान्यवत् |
3 पल्य |
तिर्यंच सामान्यवत् |
|
|
5 |
64 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
64 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
पंचेंद्रिय पर्याप्त |
1 |
57 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
|
58-59 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
3पल्य+47को.पू. |
सविशेष पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
|
2-3 |
60 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
60 |
|
|
मूलोघवत् |
|
सविशेष पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
|
4-5 |
61-64 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
61-64 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
|
|
|
|
|
57 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
58-59 |
|
|
|
3पल्य+15को.पू. |
सविशेष पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
|
पंचेंद्रिय योनिमति |
2-3 |
60 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
60 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
|
|
|
|
4 |
61 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
62-63 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
3पल्य–2मास व मुहूर्त पृथक्त्व |
28/ज.मिथ्यात्वी भोगभूमिज तिर्यं.में उपजा/2मास गर्भ में बीते/जन्म के मुहू.पृथक्त्व पश्चात् वेद.सम्य. |
|
|
|
5 |
64 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
64 |
|
|
पंचेंद्रिय सामान्यवत् |
|
|
|
|
पंचे.ल.अप. |
1 |
65 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
66-67 |
|
क्षुद्रभव |
अविवक्षित.पर्या.से आ पुन: लौटे |
अंतर्मुहूर्त |
जघन्यवत् |
|
3. मनुष्यगति |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
मनुष्य सामान्य |
... |
|
4-5 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
20-21 |
क्षुद्रभव |
अपर्याप्त की अपेक्षा |
3पल्य+40को.पू. |
कर्मभूमिज में भ्रमणकाल 40को.पू./फिर भोगभूमिज |
|
" पर्याप्त |
... |
|
4-5 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
20-21 |
अंतर्मु. |
पर्याप्त होकर इतने काल से पहले न मरे |
3पल्य+23को.पू. |
कर्मभूमिज में भ्रमणकाल 23को.पू./फिर भोगभूमिज |
|
मनुष्यणी प. |
... |
|
4-5 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
20-21 |
अंतर्मु. |
पर्याप्त होकर इतने काल से पहले न मरे |
3पल्य+7को.पू. |
कर्मभूमिज में भ्रमणकाल 7को.पू./फिर भोगभूमिज |
|
मनुष्य ल.अप. |
... |
|
6-8 |
क्षुद्रभव |
... |
पल्य/असं. |
संतान क्रम |
|
23-24 |
क्षुद्रभव |
कदलीघात से मरण कर पर्याय परिवर्तन |
अंतर्मु. |
भ्रमण |
|
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
|||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
|||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
|||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
मनुष्य सामान्य |
1 |
68 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
69-70 |
अंतर्मु. |
3,4,5वें से 1ला, पुन: 3,4या 5 |
3पल्य+47को.पू.+अंतर्मुहूर्त |
तीनों वेदों में से प्रत्येक 8को.पू.=24को.पू.; फिर ल.अप.में अंत.; फिर स्त्री व नपुं.वेद में 8,8को.पू.=16को.पू.;फिर पुरुषवेद में 7को.पू.इस प्रकार 47को.पू.कर्मभूमि में भ्रमण कर भोगभूमि में उपजे |
|
|
2 |
71-72 |
|
1 समय |
उप.सम्य.7,8,मनुष्य का सम्य.में 1समय शेष रहते युग.प्रवेश |
अंतर्मु. |
संख्यातमनु.का उप. सम्य.में 6आव.शेष रहते युग.प्रवेश |
73-74 |
|
1समय |
उपशम सम्यक्त्व में 1समय काल शेष रहने पर सासादन में प्रवेश |
6 आवली |
उपशम सम्यक्त्व में 6 आवली काल शेष रहने पर सासादन में प्रवेश |
|
|
3 |
75-76 |
|
अंतर्मु. |
28/ज.1,4,5,6ठे से पीछे आये सं.मनु.युगपत् लौटे |
अंतर्मु. |
जघन्यवत् |
77-78 |
|
अंतर्मु. |
28/ज.1,4,5,6ठे से 3रे में आ., अंतर्मु.वहाँ रह पुन: लौट जायें |
अंतर्मुहूर्त |
जघन्यवत् |
|
मनुष्य सामान्य |
4 |
79 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
80-82 |
|
अंतर्मु. |
28/ज.1,3,5,6ठे से 4थे में आ.पुन: लौटकर गुणस्थान परिवर्तन करे |
3पल्य+देशोन पूर्व कोड़ |
1को.पू.में त्रिभाग शेष रहने पर मनुष्यायु को बाँध क्षायिक सम्यक्त्वी हो भोगभूमि में उपजे। |
|
|
5-14 |
82 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
82 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
मनुष्य पर्याप्त |
1-14 |
68-82 |
|
|
मनुष्य सामान्यवत् |
|
|
68-82 |
|
|
मनुष्य सामान्यवत् |
|
|
|
मनुष्यणी |
1-3 |
68-78 |
|
|
मनुष्य सामान्यवत् |
|
|
68-78 |
|
|
मनुष्य सामान्यवत् |
|
|
|
|
4 |
79 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
80-81 |
|
अंतर्मु. |
मनुष्य सामान्यवत् |
3पल्य–9मास व 49दिन |
28/ज. भोगभूमिया मनुष्यणी हो 9मास गर्भ में रह 49दिन में पर्याप्ति पूर्ण कर सम्यक्त्वी हो। |
|
|
5-14 |
82 |
|
|
मनुष्य सामान्यवत् |
|
|
82 |
|
|
मनुष्य सामान्यवत् |
|
|
|
मनुष्य ल. अप. |
1 |
83-84 |
|
क्षुद्रभव |
अनेक जीवों का युगपत् प्रवेश व निर्गमन |
पल्य/अ. |
संतति क्रम न टूटे |
85-86 |
|
क्षुद्रभव |
परिभ्रमण |
अंतर्मुहूर्त |
परिभ्रमण |
|
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
|||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
|||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
|||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
4. देवगति— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
देव सामान्य |
|
|
9-10 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
26 -27 |
10,000 वर्ष |
देव की जघन्य आयु |
33 सागर |
देव की उत्कृष्ट आयु |
|
भवनवासी |
|
|
11 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
29-30 |
10,000 वर्ष |
देव की जघन्य आयु |
1.5 सागर |
देव की उत्कृष्ट आयु |
|
व्यंतर |
|
|
11 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
29-30 |
10,000 वर्ष |
देव की जघन्य आयु |
1.5 पल्य |
देव की उत्कृष्ट आयु |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
( धवला/14/331 ) |
आ./असं |
सोपक्रम काल |
12 मुहूर्त |
अनुपक्रम काल |
|
|
ज्योतिषी |
|
|
11 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
29-30 |
0.5 पल्य |
जघन्य आयु |
1.5 पल्य |
उत्कृष्ट आयु |
|
सौधर्म से सहस्रार |
|
|
11 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
32-33 |
1.5 पल्य-16.5 सागर |
क्रमश: प्रत्येक युगल में |
2.5 सा.-18.5 सा. |
प्रत्येक युगल में क्रमश: |
|
आनत-अच्युत |
|
|
11 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
35-36 |
18.5-20 सा. |
दो युगलों में क्रमश: 18.5 व 20 सागर |
20 सा. 22 सा. |
दोनों युगलों में क्रमश: 20 व 22 सागर |
|
नव ग्रैवेयक |
|
|
11 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
35-36 |
22-30 सा. |
प्रत्येक ग्रैवेयक में क्रमश: 22,23,24,25,26 ,27,28,29,30 सागर |
23 से 31 सागर |
प्रत्येक ग्रैवेयक में क्रमश: 23,24,25,26 ,27,28,29,30,31 सागर |
|
नव अनुदिश |
|
|
11 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
35-36 |
31 सागर |
प्रत्येक में बराबर |
32 सागर |
प्रत्येक में बराबर |
|
विजय से अपराजित |
|
|
11 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
35-36 |
32 सागर |
प्रत्येक में बराबर |
33 सागर |
प्रत्येक में बराबर |
|
सर्वार्थ सिद्धि |
|
|
11 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
38 |
33 सागर |
|
33 सागर |
|
|
देव सामान्य |
1 |
87 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
88-89 |
|
अंतर्मु. |
28/ज. 3,4थे से 1ले में गुणस्थान परिवर्तन करे |
31 सागर |
उपरिम ग्रैवेयक में जा मिथ्यात्व सहित रहे। |
|
|
2-3 |
90 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
90 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
|
4 |
91 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
91-92 |
|
अंतर्मु. |
1,3रे से 4थे में जा स्थान परिवर्तन करे |
33 सागर |
सर्वार्थ सिद्धि में जा सम्यक्त्व सहित रहे |
|
भवनवासी |
1 |
94 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
95-96 |
|
अंतर्मु. |
1,3रे से 4थे में जा स्थान परिवर्तन करे |
1 सागर+पल्य/असंख्यात |
मिथ्यात्व सहित कुल काल बिताया। |
|
|
2-3 |
97 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
97 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
|||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
|||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
|||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
भवनवासी |
4 |
94 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
95-96 |
|
अंतर्मुहूर्त |
देव सामान्यवत् स्थान परि. |
1.5 सागर–1 अंत. |
सम्यक्त्व सहित पूरा काल बितावें संयत मनुष्य ने वैमानिक की आयु बाँधी पीछे अपवर्तना घात द्वारा भवनवासी की रह गयी। वहाँ 6 पर्याप्ति प्राप्तकर सम्यक्त्वी हो रहा। |
|
व्यंतर |
1 |
94 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
95-96 |
|
अंतर्मुहूर्त |
देव सामान्यवत् स्थान परि. |
1.5 पल्य - 1 अंत. |
मिथ्यात्व सहित पूर्ण काल बिताया |
|
|
2-3 |
97 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
97 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
|
|
4 |
94 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
95-96 |
|
अंतर्मु. |
देव सामान्यवत् स्थान परि. |
1.5 पल्य - 4 अंत. |
भवनवासीवत् |
|
ज्योतिषी |
1-4 |
94-97 |
— |
— |
व्यंतरवत् |
— |
— |
95-97 |
— |
व्यंतरवत् |
— |
— |
||
सौधर्म-सहस्रार |
1 |
94 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
95-96 |
|
अंतर्मु. |
देव सामान्यवत् स्थान परि. |
पल्य/असं.अधिक 2-18सागर |
अद्धायुष्क की अपेक्षा (मिथ्यात्व से अद्धायु का अपवर्तना घात कर मरे तो) क्रमश: 2,7,10,14,16,18सागर+पल्य/असं. |
|
|
2-3 |
97 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
97 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
|
|
4 |
94 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
95-96 |
|
अंतर्मु. |
देव सामान्यवत् स्थान परि. |
क्रमश: अंत. कम 2.5, 18.5 |
क्रमश: 2.5, 7.5, 10.5, 14.5, 16.5, 18.5 सागर से अंतर्मु. कम |
|
आनत-अच्युत |
1 |
98 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
99-100 |
अंतर्मु. |
देव सामान्यवत् स्थान परि. |
क्र. 20 व 22 सा. |
उत्कृष्ट आयु पर्यंत वहाँ रहे |
||
|
2-3 |
101 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
101 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
|
|
4 |
98 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
99-100 |
|
अंतर्मु. |
देव सामान्यवत् स्थान परि. |
क्र. 20 व 22 सा. |
उत्कृष्ट आयु पर्यंत वहाँ रहे |
|
नव ग्रैवेयक |
1 |
98 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
99-100 |
|
अंतर्मु. |
देव सामान्यवत् स्थान परि. |
क्र. 23-31 सा. |
नौ ग्रैवेयकों में क्रमश: 23,24,25,26,27,28,29,30 व31 सागर |
|
|
2-3 |
101 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
101 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
|
|
4 |
98 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
99-100 |
|
अंतर्मु. |
देव सामान्यवत् स्थान परि. |
क्र. 23-31 सा. |
इसी के 1ले गुणस्थानवत् |
|
नव अनुदिश |
4 |
102 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
103-104 |
|
31 सा.+1 समय |
मिथ्यात्व गुणस्थान का अभाव |
32 सागर |
उत्कृष्ट आयु |
|
विजय अपराजित |
4 |
102 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
103-104 |
|
32 सागर |
मिथ्यात्व गुणस्थान का अभाव |
33 सागर |
उत्कृष्ट आयु |
|
सर्वार्थ सिद्धि |
4 |
105 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
106 |
|
33 सागर |
जघन्य उत्कृष्ट दोनों समान |
33 सागर |
उत्कृष्ट आयु |
2. इंद्रिय मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
2. इंद्रिय मार्गणा |
|||||||||||||
एकेंद्रिय सामान्य |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
40-41 |
क्षुद्रभव |
|
असं. पु.परि. |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
एकेंद्रिय सा.पर्याप्त |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
46-47 |
अंतर्मुहूर्त |
|
सं.सहस्र वर्ष |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
एकेंद्रिय सा.ल.अप. |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
49-50 |
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
एकेंद्रिय बा.सा. |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
43-44 |
क्षुद्रभव |
|
असं उत्सर्प.अवसर्प. |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
एकेंद्रिय बा.पर्याप्त |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
46-47 |
अंतर्मुहूर्त |
|
सं सहस्र वर्ष |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
एकेंद्रिय बा.ल.अप. |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
49-50 |
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
एकेंद्रिय सू.सा. |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
52-53 |
क्षुद्रभव |
|
असं लोकप्रमाण समय |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
एकेंद्रिय सू.पर्याप्त |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
55-56 |
अंतर्मुहूर्त |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
एकेंद्रिय सू.ल.अप. |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
58-59 |
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
विकलेंद्रिय सा |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
61-62 |
क्षुद्रभव |
|
सं.सहस वर्ष |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
विकलेंद्रिय पर्याप्त |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
61-62 |
अंतर्मुहूर्त |
|
सं.सहस वर्ष |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
विकलेंद्रिय अपर्याप्त |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
64-65 |
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
पंचेंद्रिय सा. |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
67-68 |
क्षुद्रभव |
|
1000सा.+को.पू. |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
पंचेंद्रिय पर्याप्त |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
67-68 |
अंतर्मुहूर्त |
|
शतपृथक्त्व सागर |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
पंचेंद्रिय ल.अप. |
|
|
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
70-71 |
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण(सू. व बा.) |
उपरोक्त सर्व विकल्प |
1 |
107-138 |
12-13 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
107-138 |
— |
–उपरोक्त सर्व विकल्पों के |
ओघवत् |
— |
पंचेंद्रिय पर्याप्त |
2-44 |
137 |
— |
–मूलोघवत्– |
— |
— |
|
134 |
— |
–मूलोघवत्– |
|
सर्व स्थान संभव नहीं |
3. काय मार्गणा—
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया | ||||||||||||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||||||||||||
नं.1 |
नं.2 |
||||||||||||||||||||||
नं.1 |
नं.3 |
||||||||||||||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
| ||||||||||
| |||||||||||||||||||||||
पृथि.अप तेजवायु चारों सामान्य |
|
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
73-74 |
क्षुद्रभव |
|
असं लोकप्रमाण समय |
सू.बा/पर्याप्त अपर्याप्त सर्व विकल्पों | ||||||||||
पृथि.अप तेजवायु चारों पर्याप्त |
|
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
79-80 |
अंतर्मुहूर्त |
|
सं सहस वर्ष |
सू.बा/पर्याप्त अपर्याप्त सर्व विकल्पों | ||||||||||
पृथि.अप तेजवायु चारों ल.अपर्याप्त |
|
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
82-83 |
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
सू.बा/पर्याप्त अपर्याप्त सर्व विकल्पों | ||||||||||
पृथि.अप तेजवायु चारों बा.सामा |
|
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
76-77 |
क्षुद्रभव |
|
70 कोड़ा कोड़ी सागर |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण (पूर्वा अपर्या.) | ||||||||||
पृथि.अप तेजवायु चारों बा.पर्याप्त |
|
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
79-80 |
अंतर्मुहूर्त |
|
सं.सहस वर्ष |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण (पूर्वा अपर्या.) | ||||||||||
पृथि.अप तेजवायु चारों बा.ल.अप. |
|
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
82-83 |
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण (पूर्वा अपर्या.) | ||||||||||
पृथि.अप तेजवायु चारों सू.सामान्य |
|
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
84 |
क्षुद्रभव |
|
असं लोकप्रमाण |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण (पूर्वा अपर्या.) | ||||||||||
पृथि.अप तेजवायु चारों सू.पर्याप्त |
|
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
84 |
अंतर्मुहूर्त |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण (पूर्वा अपर्या.) | ||||||||||
पृथि.अप तेजवायु चारों सू.ल.अप. |
|
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
84 |
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण (पूर्वा अपर्या.) | ||||||||||
वनस्पति सा. |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
85 |
क्षूद्रभव |
|
असं.पु.परि. |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वनस्पति पर्याप्त |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
85 |
अंतर्मुहूर्त |
|
सं.सहस्र वर्ष |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वनस्पति ल.अप. |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
85 |
क्षूद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन.प्रत्येक सा |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
76-77 |
क्षूद्रभव |
|
70 कोड़ा कोड़ी सागर |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन.प्रत्येक पर्याप्त |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
79-80 |
अंतर्मुहूर्त |
|
सं.सहस्र वर्ष |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन.प्रत्येक ल.अप. |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
82-83 |
क्षूद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन.साधारण निगोद— | |||||||||||||||||||||||
वन. सामान्य |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
87-88 |
क्षूद्रभव |
|
2.5 पु. परिवर्तन |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन. पर्याप्त |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
89 |
अंतर्मुहूर्त |
|
सं.सहस्र वर्ष |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन. ल.अप. |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
89 |
क्षूद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन. बा.सा. |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
89 |
क्षूद्रभव |
|
70 कोड़ा कोड़ी सागर |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन. बा.पर्याप्त |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
89 |
अंतर्मुहूर्त |
|
सं.सहस्र वर्ष |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन. बा.ल.अप. |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
89 |
क्षूद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन. सू.सा. |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
84 |
क्षूद्रभव |
|
असं लोक प्रमाण समय |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन. सू.पर्याप्त |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
84 |
अंतर्मुहूर्त |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
वन. सू.ल.अप. |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
84 |
क्षूद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
त्रस सामान्य |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
91-92 |
क्षूद्रभव |
|
2000सा+1पू.को. |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण ( राजवार्तिक/3/39/6/210 ) | ||||||||||
त्रस पर्याप्त |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
91-92 |
अंतर्मुहूर्त |
|
2000सा. |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण ( धवला/ प्र.10/पृ.34/10) | ||||||||||
त्रस ल.अप. |
... |
|
14-15 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
94-95 |
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
स्थावर के सर्व विकल्प |
1 |
139-156 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
139-156 |
|
|
–स्व स्व उपरोक्त ओघवत्– |
|
| ||||||||||
त्रस सामान्य |
1 |
157-159 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
157-159 |
|
अंतर्मु. |
क्षुद्रभव से असं गुणा |
2000सा+1 पू.को. |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
त्रस पर्याप्त |
1 |
157-159 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
157-159 |
|
अंतर्मु. |
|
2000 सागर |
स्व मार्गणा में परिभ्रमण | ||||||||||
त्रस पर्याप्त |
2-14 |
160 |
|
सर्वदा |
मूलोघवत् |
— |
— |
160 |
— |
— |
–मूलोघवत्– |
— |
— | ||||||||||
त्रस ल.अप. |
1 |
161 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
161 |
|
क्षुद्रभव |
|
अंतर्मुहूर्त |
विकल पंच इंद्रियों के निरंतर भव क्रमेण80,60,40,24प्रमाण परिभ्रमण |
4. योग मार्गणा
संकेत—1 समय संबंधी प्ररूपणा के 11 भंगों का विस्तार पहले सारणी संबंधी नियमों में दिया गया है। वहाँ से देख लें।–देखें काल - 5
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||
नं.1 |
नं. 2 |
नं. 1 |
नं.3 |
||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
|||||||||||||
पाँचों मनोयोगी |
... |
|
16-17 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
97-98 |
1 समय |
योग परिवर्तनकर मरण व व्याघात |
अंतर्मुहूर्त |
योग परिवर्तन |
पाँचों वचनयोगी |
... |
|
16-17 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
97-98 |
1 समय |
योग परिवर्तनकर मरण व व्याघात |
अंतर्मुहूर्त |
योग परिवर्तन |
काय योगी सा. |
... |
|
16-17 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
100-101 |
अंतर्मु. |
इससे कम काल परिभ्रमण का अभाव |
आ.असं.पु.परिवर्तन |
एकेंद्रियों मे परिभ्रमण |
औदारिक.. |
... |
|
16-17 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
103-104 |
1 समय |
योग परिवर्तन कर मरण या व्याघात |
22000 वर्ष |
पृथिवी कायिकों में परिभ्रमण |
औदारिक मिश्र |
... |
|
16-17 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
106-107 |
1 समय |
दंड कपाट समुद्घात में |
अंतर्मुहूर्त |
पूर्व भवों में इतना ही उत्कृष्ट है अधिक नहीं |
वैक्रियक |
... |
|
16-17 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
106-107 |
1 समय |
योग प्राप्तकर मृत्यु या व्याघात |
अंतर्मुहूर्त |
पूर्व भवों में इतना ही उत्कृष्ट है अधिक नहीं |
वैक्रियक मिश्र |
... |
|
15-20 |
अंतर्मु. |
2 विग्रह सहित देवों में उत्पत्ति का प्रवाह क्रम |
पल्य/असं |
2 विग्रहसहित देवों में उत्पत्ति का प्रवाह क्रम |
|
109-110 |
अंतर्मु. |
मिश्र योग में मरण नहीं |
अंतर्मुहूर्त |
इससे अधिक काल अवस्थाव का अभाव |
आहारक |
... |
|
21-23 |
1 समय |
एक जीववत् |
अंतर्मु. |
एक जीववत् |
|
106-107 |
1 समय |
योग प्राप्तकर दूसरे समय शरीर प्रवेश |
अंतर्मुहूर्त |
अधिक से अधिक इतने काल पश्चात् शरीर प्रवेश |
आहारक मिश्र |
... |
|
24-26 |
अंतर्मु. |
एक जीववत् |
अंतर्मु. |
एक जीववत् |
|
109-110 |
अंतर्मु. |
|
अंतर्मुहूर्त |
|
कार्माण |
... |
|
16-17 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
112-113 |
1 समय |
1 विग्रहपूर्वक जन्म धारण |
3 समय |
तीन विग्रहपूर्वक जन्मधारण |
पाँचों मनोवचन योगी |
1 |
162 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
163-164 |
|
1 समय |
यथायोग्य 3 योग परिवर्तन, गुणस्थान परिवर्तन, मरण व व्याघात के पूर्व 11 भंग (देखो काल/5) |
अंतर्मुहूर्त |
केवल योग परिवर्तन |
|
2 |
165 |
|
1 समय |
मूलोघवत् |
पल्य/असं. |
मूलोघवत् |
165 |
|
1 समय |
यथायोग्य 3 योग परिवर्तन, गुणस्थान परिवर्तन, मरण व व्याघात के पूर्व 11 भंग (देखो काल/5) |
6 आवली |
केवल योग परिवर्तन |
|
3 |
166-167 |
|
1 समय |
11 भंगों से योग परिवर्तन |
पल्य/असं. |
अविच्छिन्न प्रवाह |
168-169 |
|
1 समय |
यथायोग्य 3 योग परिवर्तन, गुणस्थान परिवर्तन, मरण व व्याघात के पूर्व 11 भंग (देखो काल/5) |
अंतर्मुहूर्त |
इतने काल पश्चात् योग परिवर्तन |
|
4-7 |
162 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
163-164 |
|
1 समय |
उपरोक्तवत् परंतु अप्रमत्त के व्याघात बिना के 10 भंग |
अंतर्मुहूर्त |
इतने काल पश्चात् योग परिवर्तन |
|
8-12(उप.) |
170-171 |
|
1 समय |
11 भंगों से योग परिवर्तन |
अंतर्मु. |
योगपरिवर्तन |
172-173 |
|
1 समय |
व्याघात बिना उपरोक्त 10 भंग |
अंतर्मुहूर्त |
इतने काल पश्चात् योग परिवर्तन |
|
8-12 क्षपक |
170-171 |
|
1 समय |
|
अंतर्मु. |
योगपरिवर्तन |
172-173 |
|
1 समय |
योग व गुणस्थान परिवर्तन के 9 भंग |
अंतर्मुहूर्त |
इतने काल पश्चात् योग परिवर्तन |
|
13 |
162 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
163-164 |
|
1 समय |
विवक्षित योगसहित प्रवेश 1 समय पीछे योग परिवर्तन |
अंतर्मुहूर्त |
इतने काल पश्चात् योग परिवर्तन |
काययोग सामान्य |
1 |
174 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
175-176 |
|
1 समय |
मरण व व्याघात रहित 9 भंग |
असं.पु.परिवर्तन |
एकेंद्रियों में परिभ्रमण |
|
2-13 |
177 |
|
— |
मनोयोगीवत् |
— |
विच्छेदाभाव |
177 |
|
मनोयोगीवत् 3,4थें में भी मनोयोगवत् |
मरण व व्याघात रहित 9 भंग तथा 2,5,6ठें में केवल व्याघात रहित |
|
|
औदारिक |
1 |
178 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
179-180 |
|
1 समय |
मनोयोगीवत् 11 भंग |
22000 वर्ष-अप.काल |
पृथिवीकाय में परिभ्रमण |
|
2-13 |
181 |
|
— |
मनोयोगीवत् |
— |
— |
181 |
|
मनोयोगीवत् |
व्याघातवाले भंग का कहीं भी अभाव नहीं |
मनोयोगीवत् |
|
औदारिक मिश्र |
1 |
182 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
183-184 |
|
क्षुद्रभव से 3 समय कम |
3 विग्रह से उत्पन्न क्षुद्रभवधारी |
अंतर्मुहूर्त |
ल.अप.के संख्यातभव करके पर्याप्त हो गया |
|
2 |
185-186 |
|
1 समय |
एक जीववत् ही 7 या 8 जीवों की युगपत् प्ररूपणा |
पल्य/असं |
अविच्छिन्न प्रवाह |
187-188 |
|
1 समय |
सासादन दृष्टि एक जीव स्वकाल में एक समय शेष रहने पर मिश्र योगी हो द्वितीय समय मिथ्यात्व को प्राप्त हुआ। |
1 समय कम 6 आवली |
जघन्यवत् |
|
4 |
189-190 |
|
अंतर्मु. |
7 या 8 असंयत नारकी औ.मि.योगी हो पर्याप्त हुए |
अंतर्मु. |
जघन्यवत् पर देव, नारकी व मनुष्य तीनों की अपेक्षा प्ररूपणा |
191-192 |
|
अंतर्मु. |
6ठी पृथिवी से आ मनुष्य हुआ, गर्भ में अल्प अंतर्मुहूर्त काल तक ही अपर्याप्त रहा, फिर पर्याप्त हो गया |
अंतर्मुहूर्त |
जघन्यवत् परंतु सर्वार्थसिद्धि से आकर |
|
13 |
193-194 |
|
1 समय |
दंड समुद्घात से कपाट को प्राप्त हो पुन: दंड को प्राप्त हुआ |
सं.समय |
दंड व कपाट में परिवर्तन करने अनेक जीव |
195-196 |
|
1 समय |
दंड–कपाट समुद्घात मे आरोहण व अवतरण करते हुए कपाट समुद्घात गत केवली |
1 समय |
जघन्यवत् |
वैक्रियक |
1 |
196 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
197-198 |
|
1 समय |
मनो या वचन योगी विवक्षित गुणस्थानवर्ती वैक्रि.काय योगी हो 1समय पश्चात् या तो मर जाये या गुणस्थान परिवर्तन करे व्याघात रहित 10 भंग |
अंतर्मुहूर्त |
विवक्षित गुणस्थान में ही योगपरिवर्तन करे |
वैक्रियक |
2 |
199 |
|
1 समय |
11 भंग |
पल्य/असं |
प्रवाह |
199 |
|
1 समय |
11 भंग लागू करने (देखो काल/5) |
6 आवली |
स्वकाल में 6 आ.रहने पर विवक्षित योग में प्रवेश |
|
3 |
200 |
|
1 समय |
11 भंग |
पल्य/असं |
प्रवाह |
200 |
|
1 समय |
11 भंग लागू करने (देखो काल/5) |
अंतर्मुहूर्त |
इतने काल पीछे योग परिवर्तन |
|
4 |
196 |
|
— |
स्वमिथ्यादृष्टिवत् |
— |
|
197-198 |
— |
— |
स्व मिथ्यादृष्टिवत् |
— |
— |
वैक्रियकमिश्र |
1 |
201-202 |
|
अंतर्मु. |
7 या 8 द्रव्यलिंगी मुनि उपरिम ग्रैवेयक में जा इतने काल पश्चात् पर्याप्त हुआ |
पल्य/असं |
7 या 8 जीव देव या नरक में जा इतने काल पश्चात् पर्याप्त हुए |
203-204 |
|
अंतर्मु. |
उपरिम ग्रैवेयक में उपजने वाला द्रव्यलिंगी मुनि सर्व लघुकाल पश्चात् पर्याप्त हुआ |
अंतर्मुहूर्त |
मनुष्य व तिर्यंच मिथ्यादृष्टि 7वीं पृथिवी में उपज इतने काल पश्चात् पर्याप्त हुआ |
|
2 |
205-206 |
|
1 समय |
गुणस्थान में 1 समय शेष रहने पर देवों में उपज सब मिथ्यात्वी हो गये |
पल्य/असं |
जघन्यवत् पर 1 समय से 6 आवली शेष रहते उत्पत्ति की प्ररूपणा |
207-208 |
|
1 समय |
सासादन में एक समय शेष रहने पर देवों में उत्पन्न हुआ। द्वितीय समय मिथ्यादृष्टि हो गया |
1 समय कम 6 आवली |
उपशम सम्यक्त्व के काल में छ: आवली शेष रहने पर कोई मनुष्य या तिर्यंच सासादन को प्राप्त हुआ। एक समय पश्चात् देव हुआ। 1समय कम छ: आवली पश्चात् मिथ्यादृष्टि हो गया। |
|
4 |
201-202 |
|
अंतर्मु. |
संयत 2 विग्रह से सर्वार्थ सिद्धि में उपज पर्याप्त हुए |
पल्य/असं |
उपरोक्त मिथ्यादृष्टिवत् |
203-204 |
|
अंतर्मु. |
कोई मुनि 2 विग्रह से सर्वार्थ सिद्धि में उपजा। इतने काल पश्चात् पर्याप्त हुआ |
अंतर्मुहूर्त |
बद्धायुष्क क्षायिक सम्यग्दृष्टि जीव प्रथम पृथिवी में उपजा। इतने काल पश्चात् पर्याप्त हुआ। |
आहारक |
6 |
209-210 |
|
1 समय |
एक जीववत् युगपत् नाना जीव |
अंतर्मु. |
जघन्यवत् प्रवाह क्रम |
211-212 |
|
1 समय |
अविवक्षित से विवक्षित योग में आकर 1 समय पश्चात् मूल शरीर प्रवेश |
अंतर्मुहूर्त |
जघन्यवत् |
आहारकमिश्र |
6 |
213-214 |
|
1 समय |
एक जीववत् युगपत् नाना जीव |
अंतर्मु. |
जघन्यवत् प्रवाह क्रम |
215-216 |
|
1 समय |
देखा है मार्ग जिन्होंने ऐसा जीव सर्वलघुकाल में पर्याप्त होता है |
अंतर्मुहूर्त |
नहीं देखा है मार्ग जिसने ऐसा जीव इससे पहिले पर्याप्त न हो |
कार्माण |
1 |
217 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
218-219 |
|
1 समय |
मारणांतिक समुद्घात पूर्वक 1 विग्रह से जन्म |
3 समय |
जघन्यवत् पर 3 विग्रह से जन्म |
|
2,4 |
220-221 |
|
1 समय |
एक जीववत् |
आ./असं |
जघन्यवत् प्रवाह |
222-223 |
|
1 समय |
एक विग्रह से उत्पन्न होनेवाला जीव |
2 समय |
2 विग्रह से उत्पन्न होने वाला जीव |
|
13 |
224-225 |
|
3 समय |
एक जीववत् |
सं.समय |
जघन्यवत् प्रवाह |
226 |
|
3 समय |
कपाट से क्रमश: प्रतर-लोकपूर्ण-प्रतर |
3 समय |
जघन्यवत् |
5. वेद मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
स्त्री वेद |
... |
|
24-28 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
115-116 |
1 समय |
उपशम श्रेणी से उतर सवेदी हो द्वितीय समय मृत्यु |
300 से 900 पल्य तक |
अविवक्षित वेद से आकर तहाँ परिभ्रमण। |
पुरुष वेद |
... |
|
24-28 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
118-119 |
अंतर्मु. |
उपशम श्रेणी उतर सवेदी होकर पुन: अवेदी हुआ। मृत्यु होने पर तो पुरुष वेदी देव ही नियम से होगा अत: 1समय की प्ररूपणा नहीं की |
900 सागर |
नंपुसक से आ पुरुषवेदी हो तहाँ परिभ्रमण |
नंपुसक वेद |
... |
|
24-28 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
121-122 |
1 समय |
स्त्री वेदवत् |
असं.पु.परिवर्तन |
एकेंद्रियों में परिभ्रमण |
अपगत वेद उप. |
... |
|
24-28 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
124-125 |
1 समय |
उपशम श्रेणी में अवेदी होकर पुन: सवेदी हो जाना |
अंतर्मुहूर्त |
स्त्री व नंपुसक वेद सहित उपशम श्रेणी चढ़े तो। |
अपगत वेद क्षपक |
... |
|
24-28 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
127-128 |
अंतर्मु. |
|
कुछ कम पूर्व कोड़ि |
सर्व जघन्य काल में संयम धर अवेदी हुआ और उत्कृष्ट आयुपर्यंत रहा |
स्त्री वेद |
1 |
227 |
24-28 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
228-229 |
|
अंतर्मुहूर्त |
गुणस्थान प्रवेश कर पुन: लौटे |
पल्यशत पृथक्त्व |
वेद परिवर्तन करके पुन: लौटे |
|
2-3 |
230-231 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
230-231 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
|
4 |
232 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
233-234 |
|
अंतर्मु. |
गुणस्थान परिवर्तन |
3 अंतर्मु.कम 55 पल्य |
अविवक्षित वेदी 55 पल्य आयु वाली देवियों में उपज, अंतर्मु.से पर्याप्ति पूरीकर सम्यक्त्वी हुआ। |
|
5 |
235 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
235 |
|
अंतर्मु. |
गुणस्थान परिवर्तन |
2मास+मुहूर्त.पृथक्त्व कम 1को.पूर्व |
28/ज स्त्री वेदी मर्कट आदिक में उपजा/2 मास गर्भ में रहा। निकलकर मुहूर्त पृथक्त्व से संयतासंयत हो रहा (ओघ में सम्मूर्च्छिन का ग्रहण किया है) |
|
6-9 |
235 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
235 |
|
अंतर्मु. |
–मूलोघवत् |
— |
— |
पुरुष वेद |
1 |
236 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
237-238 |
|
अंतर्मु. |
स्त्रीवेदवत् |
सागरशत पृथक्त्व |
स्त्रीवेदवत् |
|
2-4 |
239 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
239 |
|
|
|
|
|
|
5 |
239 |
— |
स्त्रीवेदवत् |
— |
— |
|
|
|
|
|
|
|
|
6-9 |
239 |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
|
|
|
|
|
|
|
नपुंसक वेद |
1 |
240 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
241-242 |
|
अंतर्मु. |
स्त्रीवेदवत् |
असं.पु.परिवर्तन |
स्त्रीवेदवत् |
|
2-3 |
243-244 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
243-244 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
|
4 |
245 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
246-247 |
|
अंतर्मु. |
स्त्रीवेदवत् |
6 अंतर्मु. कम 33 सागर |
28/ज.7वी पृथिवी में जा 6 मुहूर्त पीछे पर्याप्त व विशुद्ध हो सम्यक्त्व को प्राप्त हुआ। |
|
5-9 |
248 |
— |
— |
मूलोधवत् |
— |
— |
248 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
अपगत वेदी |
10-14 |
249 |
|
|
मूलोधवत् |
|
|
249 |
|
|
मूलोधवत् |
|
|
6. कषाय मार्गणा—
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||
नं.1 |
नं.2 |
|
नं.1 |
नं.3 |
|||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
|||||||||||||
चारों कषाय |
... |
|
29-30 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
129-130 |
1 समय |
क्रोध में केवल मृत्यु वाला भंग और शेष तीन में मृत्यु व व्याघात वाले दोनों भंग |
अंतर्मुहूर्त |
कषाय परिवर्तन |
अकषाय उप. |
... |
|
29-30 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
131 |
1 समय |
अपगत वेदीवत् |
अंतर्मुहूर्त |
अपगत वेदीवत् |
अकषाय क्षपक |
... |
|
29-30 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
131 |
अंतर्मु. |
अपगत वेदीवत् |
कुछ कम पूर्ण को. |
अपगत वेदीवत् |
चारों कषाय |
1 |
250 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
250 |
|
1 समय |
कषाय, गुणस्थान परिवर्तन व मरण के सर्व भंग-काल/5क्रोध के साथ व्याघात नहीं होता शेष तीन के साथ होता है। मरण की प्ररूपणा में क्रोध कषायी को नरक में उत्पन्न कराना, मान कषायी को नरक में, माया कषायी को तिर्यंच में और लोभ कषायी को देवों में। इस प्रकार यथा योग्य रूप से सर्व ही गुणस्थानों मे लगाना। |
अंतर्मुहूर्त |
स्व गुणस्थान में रहते हुए ही कषाय परिवर्तन |
|
2 |
250 |
|
1 समय |
मूलोघवत् |
पल्य/अ. |
मूलोघवत् |
250 |
|
1 समय |
" |
6 आवली |
स्व गुणस्थान में रहते हुए ही कषाय परिवर्तन |
|
3 |
250 |
|
1 समय |
21 भंगों से परि.–देखें काल - 5 |
पल्य/अ. |
अविच्छिन्न प्रवाह |
250 |
|
1 समय |
" |
अंतर्मुहूर्त |
स्व गुणस्थान में रहते हुए ही कषाय परिवर्तन |
|
4-7 |
250 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
250 |
|
1 समय |
उपरोक्तवत् परंतु 7वें में व्याघात नहीं |
अंतर्मुहूर्त |
स्व गुणस्थान में रहते हुए ही कषाय परिवर्तन |
क्रोध मान माया |
8-9 (उप.) |
251-252 |
|
1 समय |
1 जीववत् |
अंतर्मु. |
जघन्यवत् प्रवाह |
253-254 |
|
1 समय |
8,9,10 में अवरोहक और 9,10 में आरोहक व अवरोहक के प्रथम समय में मरण |
अंतर्मुहूर्त |
सर्वोत्कृष्ट स्थिति |
लोभ कषाय |
8-10 (क्षपक) |
|
|
1 समय |
1 जीववत् |
अंतर्मु. |
जघन्यवत् प्रवाह |
253-254 |
|
1 समय |
8,9,10 में अवरोहक और 9,10 में आरोहक व अवरोहक के प्रथम समय में मरण |
अंतर्मुहूर्त |
सर्वोत्कृष्ट स्थिति |
क्रोध मान माया |
8-9 (क्षप.) |
255-256 |
|
अंतर्मु. |
1 जीववत् |
जघन्य से सं.गुणा |
जघन्यवत् प्रवाह |
257-258 |
|
अंतर्मु. |
मरण रहित शेष भंग उपरोक्तवत् (देखें काल - 5) |
|
सर्वोत्कृष्ट स्थिति |
लोभ |
8-10 (उप.) |
255-256 |
|
अंतर्मु. |
1 जीववत् |
जघन्य से सं.गुणा |
जघन्यवत् प्रवाह |
257-258 |
|
अंतर्मु. |
मरण रहित शेष भंग उपरोक्तवत् (देखें काल - 5) |
|
सर्वोत्कृष्ट स्थिति |
अकषायी |
11-14 |
259 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
259 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
7. ज्ञान मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
मति श्रुतअज्ञान |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
133-135 |
अनंत |
अनादि अनंत व अनादि सांत |
अनंत |
जघन्यवत् |
मति श्रुतज्ञान सादि सांत |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
136-137 |
अंतर्मु. |
ज्ञान परिवर्तन |
कुछ कम अर्ध पु.परि. |
सम्यक्त्व से मिथ्यात्व फिर सम्यक्त्व देव नारकी में उपरोक्त प्रकार |
विभंग सामान्य |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
139-140 |
1 समय |
उप.सम्य. देव नारकीद्विती.समय सासा.हो मरे। |
अंतर्मु.कम 33सा. |
|
विभंग (मनु.तिर्य.) |
|
|
धवला/9/397 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
धवला/9/397 |
1 समय |
औदारिक शरीर की संघातनपरिशातन कृति |
अंतर्मुहूर्त |
|
मतिश्रुत अवधिज्ञान |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
142-143 |
अंतर्मु. |
देव नारकी सम्यक्त्वी हो पुन: मिथ्या। |
66 सागर+4पूर्व को. |
(देखो काल/5) |
मन:पर्यय |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
145-146 |
अंतर्मु. |
इतने काल पश्चात् मरण |
8 वर्ष कम 1को.पू. |
8 वर्ष में दीक्षा लेकर शेष उत्कृष्ट आयु पर्यंत |
केवलज्ञान |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
145-146 ( कषायपाहुड़ ) |
अंतर्मु. |
इतने काल पश्चात् मरण |
अंतर्मुहूर्त |
" (देखें दर्शन - 3.2) |
मतिश्रुत अज्ञान |
1-2 |
260-261 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
260-261 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
विभंग ज्ञान |
1 |
262 |
|
|
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
263-264 |
|
अंतर्मु. |
गुणस्थान परिवर्तन |
33 सागर से अंतर्मु.कम अंतर्मुहूर्त |
सप्तम पृथिवी की अपेक्षा मनुष्य तिर्यंच की अपेक्षा |
|
2 |
265 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
265 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
मतिश्रुतज्ञान |
4-12 |
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
अवधिज्ञान |
1-4 |
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
5 |
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
266 |
— |
मूलोघवत् |
— |
4 अंत.कम 1 को.पू. |
ओघ से 1 अंतर्मु.और भी कम है। क्योंकि सम्यक्त्व अवधि धारने में 1 अंतर्मु. लगा |
|
6-12 |
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
266 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
|
मन:पर्यय |
6-12 |
267 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
267 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
केवल |
13-14 |
268 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
268 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
8. संयम मार्गणा—
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
|||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
|||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
|||||||||||
|
||||||||||||||
संयम सामान्य |
|
|
33-34 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
148-149 |
अंतर्मु. |
संयमी से असंयमी |
8 वर्ष कम 1 पूर्व कोड़ |
8 वर्ष की आयु में संयम धार उत्कृष्ट मनुष्य आयु पर्यंत संयम सहित रहे |
|
सामायिक छेदो. |
|
|
33-34 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
151-152 |
1 समय |
उपशम श्रेणी से उतरते हुए मृत्यु |
8 वर्ष कम 1 पूर्व कोड़ |
8 वर्ष की आयु में संयम धार उत्कृष्ट मनुष्य आयु पर्यंत संयम सहित रहे |
|
परिहार विशुद्धि |
|
|
33-34 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
148-149 |
अंतर्मु. |
|
38 वर्ष कम 1 पूर्व कोड़ |
सर्व लघु काल 8 वर्ष में संयम धार 30 साल पश्चात् तीर्थंकर के पादमूल में प्रत्याख्यान पूर्व को पढ़कर परिहार विशुद्धि संयत हुआ। |
|
सूक्ष्म सांपराय |
उप. |
|
35-37 |
1 समय |
1 जीववत् |
अंतर्मु. |
जघन्यवत् प्रवाह |
|
154-155 |
1 समय |
प्रथम समय प्रवेश द्वितीय समय मरण |
अंतर्मुहूर्त |
इससे अधिक न रहे |
|
|
क्षप. |
|
33-34 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
156-157 |
अंतर्मु. |
मरण का यहाँ अभाव है |
अंतर्मुहूर्त |
|
|
यथाख्यात |
उप. |
|
35-37 |
1 समय |
1 जीववत् |
अंतर्मु. |
जघन्यवत् प्रवाह |
|
159-160 |
1 समय |
प्रथम समय प्रवेश द्वितीय समय मरण |
अंतर्मुहूर्त |
|
|
|
क्षप. |
|
33-34 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
161-162 |
अंतर्मु. |
मरण का अभाव |
8 वर्ष कम 1 पूर्व कोड़ अंत. |
संयम सामान्यवत् पर यथा योग्य अंत.पश्चात् यथाख्यात धारण करे |
|
संयतासंयत |
|
|
33-34 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
148-149 |
अंतर्मुहूर्त |
|
अंतर्मु.कम 1 पूर्व कोड़ |
सम्मूर्च्छिम तिर्यंच मेंढकादि की अपेक्षा |
|
असंयत (अभ.) |
|
|
33-34 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
164 |
— |
अनादि अनंत |
— |
— |
|
असंयत (भव्य) |
|
|
33-34 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
165-166 |
सादि सांत |
संयत से असंयत हो पुन: संयत |
अनादि सांत |
प्रथम बार संयम धारे तो |
|
(सादि सांत) |
|
|
33-34 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
167-168 |
अंतर्मु. |
संयत से असंयत हो पुन: संयत |
अर्ध.पु.परि. |
इतने काल मिथ्यात्व में रहकर पुन: सं. |
|
संयम सामान्य |
6-14 |
269 |
— |
— |
मूलओघवत् |
— |
— |
269 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
सामायिक छेदो. |
6-9 |
270 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
270 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
परिहार विशुद्धि |
6-7 |
271 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
271 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
सूक्ष्म सांपराय उप.क्षप. |
272 |
|
|
मूलोघवत् |
मूलोघवत् |
|
272 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
यथाख्यात |
13-14 |
273 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
273 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
संयतासंयत |
5 |
274 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
274 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
असंयत |
1-4 |
275 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
275 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
9. दर्शन मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
|||||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
|||||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
|||||||||||||
|
||||||||||||||||
चक्षुदर्शन |
... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
170-171 |
अंतर्मु. |
चतुरिंद्रिय पर्याप्त क्षायोपशमापेक्षा |
2000 सागर |
क्षयोपशमापेक्षा परिभ्रमण |
|||
|
... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
170-171 |
अंतर्मु. |
उपयोगापेक्षा |
अंतर्मुहूर्त |
उपयोग अपेक्षा |
|||
अचक्षुदर्शन |
... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
173 |
अनादि अनंत |
अभव्य क्षयोपशमापेक्षा |
अनादि अनंत |
अभव्य क्षयोपशमापेक्षा |
|||
|
... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
174 |
अनादि सांत |
भव्य क्षयोपशमापेक्षा |
अनादि सांत |
भव्य क्षयोपशमापेक्षा |
|||
|
... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
170-172 |
अंतर्मु. |
उपयोगापेक्षा |
अंतर्मुहूर्त |
उपयोगापेक्षा |
|||
अवधिदर्शन |
... |
|
38-39 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
175 |
|
अवधिज्ञानवत् |
— |
|
|||
केवलदर्शन |
... |
|
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
176 |
|
केवलज्ञानवत् |
— |
|
|||
चक्षुदर्शन |
1 |
276 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
277-278 |
|
अंतर्मु. |
गुणस्थान परिवर्तन |
2000 सागर |
परिभ्रमण |
|||
|
2-4 |
279 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
279 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
|||
अचक्षुदर्शन |
1-14 |
280 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
280 |
— |
— |
मूलोघवत् |
|
|
|||
अवधि दर्शन |
4-12 |
281 |
— |
— |
अवधिज्ञानवत् |
— |
— |
281 |
— |
— |
अवधिज्ञानवत् |
— |
— |
|||
केवलदर्शन |
13-14 |
282 |
— |
— |
केवलज्ञानवत् |
— |
— |
282 |
— |
— |
केवलज्ञानवत् |
— |
— |
10. लेश्या मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
|||||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
|||||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
|||||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|||
|
||||||||||||||||
कृष्ण |
|
|
40-41 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
177-178 |
अंतर्मु. |
नील से कृष्ण पुन: वापिस |
33सा.+अंत. |
विवक्षित लेश्या सहित मनुष्य या तिर्यंच में अंतर्मुहूर्त रहा। फिर मरकर नरक में उपजा |
|||
नील |
|
|
40-41 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
177-178 |
अंतर्मु. |
कापोत या कृष्ण से नील पुन: वापिस |
17सा.+अंत. |
" (पंचम पृथिवी में) |
|||
कापोत |
|
|
40-41 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
177-178 |
अंतर्मु. |
नील या तेज से कापोत पुन: वापिस |
7 सा.+अंतर्मु. |
" (तीसरी " ") |
|||
तेज |
|
|
40-41 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
181-182 |
अंतर्मु. |
पद्म से तेज फिर वापिस |
2 सा.+अंतर्मु. |
उपरोक्तवत् परंतु देवों में उत्पत्ति |
पद्म |
... |
|
40-41 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
181-182 |
अंतर्मु. |
शुक्ल या तेज से पद्म फिर वापिस |
18 सा.+अंत. |
उपरोक्तवत् परंतु देवों में उत्पत्ति |
शुक्ल |
... |
|
40-41 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
|
अंतर्मु. |
पद्म से शुक्ल फिर वापिस |
33 सा.+अंत. |
उपरोक्तवत् परंतु देवों में उत्पत्ति |
कृष्ण |
1 |
283 |
|
|
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
284-285 |
|
अंतर्मु. |
नील से कृष्ण पुन: वापिस |
33 सा.+2अंत. |
उपरोक्तवत् स्व ओघवत् |
|
2-3 |
286-287 |
— |
सर्वदा |
मूलोघवत् |
— |
— |
286-287 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
|
4 |
288 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
289-290 |
|
अंतर्मु. |
नील से कृष्ण फिर वापिस |
33 सागर से 6 अंतर्मु.कम |
7 पृथिवी में (भवधारण के 5 अंतर्मु.पश्चात् से लेकर भवांत के 1 अंतर्मु.पहिले तक भवांत में नियम से मिथ्यात्व |
नील |
1 |
283 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
284-285 |
|
अंतर्मुहूर्त |
कृष्ण या कापोत से नील पुन: वापिस |
17 सागर+2 अंतर्मुहूर्त |
5वीं पृथिवी में (स्व ओघवत्) |
|
2-3 |
286-287 |
— |
|
मूलोघवत् |
|
|
286-287 |
— |
— |
–मूलोघवत्– |
|
— |
|
4 |
288 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
289-290 |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मिथ्यादृष्टिवत् |
17 सागर से 3 अंतर्मु.कम |
कृष्णवत् पर भवांत में सम्यक्त्व सहित मरकर मनुष्यों में उत्पत्ति (5 वी पृथिवी) |
कापोत |
1 |
283 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
284-285 |
|
अंतर्मुहूर्त |
नील या तेज से कापोत पुन: वापिस |
7सागर+2अंतर्मु. |
स्व ओघवत् (3री पृथिवी में) |
|
2-3 |
286-287 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
286-287 |
— |
— |
–मूलोघवत्– |
— |
— |
|
4 |
288 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
289-290 |
|
अंतर्मुहूर्त |
स्व मिथ्यादृष्टिवत् |
7 सागर से 3अंतर्मु.कम |
नीलवत् 3 री पृथिवी में |
तेज |
1 |
291 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
292-293 |
|
अंतर्मुहूर्त |
पद्म से तेज फिर कापोत |
2सागर+पल्य/असं. |
मरण से अंतर्मु.पहिले कापोत से तेज/सौधर्म में उत्पत्ति/मरण समय लेश्या परिवर्तन |
|
2-3 |
294-295 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
294-295 |
— |
— |
–मूलोघवत्– |
— |
— |
|
4 |
291 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
292-293 |
|
अंतर्मुहूर्त |
मिथ्यादृष्टिवत् |
2.5 सागर से 1 अंतर्मु. कम |
मिथ्यादृष्टिवत् पर अगले भव में उसी लेश्या के साथ गया/1 अंतर्मु.तक वहाँ भी वही लेश्या रही |
|
5-6 |
296 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
297-298 |
|
1 समय |
लेश्या परिवर्तन से या गुणस्थान परिवर्तन से दोनों विकल्प (देखो काल/5) |
अंतर्मुहूर्त |
विवक्षित लेश्या विवक्षित गुणस्थान में रहकर अविवक्षित लेश्या को प्राप्त हुआ |
पद्म |
1 |
291 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
292-293 |
|
अंतर्मुहूर्त |
शुक्ल से पद्म फिर तेज |
18सा.+पल्य/असं. |
तेजवत् परंतु तेज से पद्म व सहस्रार में उत्पत्ति |
|
2-3 |
294-295 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
294-295 |
— |
— |
–मूलोघवत् – |
— |
— |
|
4 |
291 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
292-293 |
|
अंतर्मुहूर्त |
मिथ्यादृष्टिवत् |
1 अंतर्मुहूर्त कम 18.5 सा. |
तेजवत् |
|
5-6 |
296 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
297-298 |
|
1 समय |
तेजवत् |
अंतर्मुहूर्त |
तेजवत् |
शुक्ल |
1 |
299 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
300-301 |
|
अंतर्मुहूर्त |
पद्म से शुक्ल फिर पद्म |
31 सा.+ अंतर्मुहूर्त |
द्रव्यलिंगी मुनि स्व आयु में अंतर्मु.शेष रहने पर शुक्ल लेश्या धार उपरिम ग्रैवेयक में उपजा |
|
2-3 |
302-303 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
302-303 |
|
— |
–मूलोघवत् – |
— |
— |
|
4 |
304 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
304 |
|
अंतर्मु. |
पद्म से शुक्ल फिर पद्म |
33 सा.+ 1 अंतर्मुहूर्त |
अनुत्तर विमान से आकर मनुष्य हुआ। अंतर्मु.पश्चात् लेश्या परिवर्तन |
|
5-7 |
305 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
306-307 |
|
1 समय |
तेजवत् |
अंतर्मुहूर्त |
तेजवत् |
|
8-13 |
308 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
308 |
|
— |
–मूलोघवत्– |
— |
— |
11. भव्यत्व मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
भव्य |
... |
|
42-43 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
310 |
184 |
|
अनादि सांत (अयोग केवली के अंतिम समय तक) |
||
|
... |
|
42-43 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
310 |
185 |
|
सादि सांत (सम्यक्त्वोत्पत्ति के पश्चात् वाले विशेष भव्यत्व की अपेक्षा) |
||
अभव्य |
... |
|
42-43 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
187 |
|
अनादि अनंत |
|
|
भव्य (सादि सांत) |
1 |
309 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
312-313 |
|
अंतर्मु. |
गुणस्थान परिवर्तन |
कुछ कम अर्ध पु.परि. |
मूलोघवत् |
|
2-14 |
314 |
— |
— |
मूलोधवत् |
— |
— |
314 |
|
— |
–मूलोघवत्– |
— |
— |
अभव्य |
1 |
315 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
316 |
|
|
अनादि अनंत |
|
|
12. सम्यक्त्व मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
|||||||||||||
सम्यक्त्व सामान्य |
... |
|
44-45 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
189-190 |
अंतर्मु. |
|
66 सा.+4को.पूर्व |
(देखें काल - 5) |
क्षायिक सम्य. |
... |
|
सर्वदा |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
192-193 |
अंतर्मु. |
|
8 वर्ष कम 2को.पूर्व+33 सागर |
कृतकृत्य वेदक सम्यग्दृष्टि देव या नारकी मनुष्यों में उपजा/सर्व लघु काल से क्षायिक सम्यक्त्व सहित संयत होकर रहा/मरकर सर्वार्थ सिद्धि में गया/वहाँ से आ पुन: को.पूर्व आयु वाला मनुष्य हो मुक्त हुआ। |
वेदक सम्य. |
... |
|
सर्वदा |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
195-196 |
अंतर्मु. |
|
66 सा.+4पू.को. |
(देखें काल - 5) |
उपशम सम्य. |
... |
|
46-48 |
अंतर्मु. |
सासादन |
पल्य/असं. |
प्रवाह क्रम |
|
198-199 |
अंतर्मु. |
स्वकाल पूर्ण होने पर अवश्य सासादन |
अंतर्मुहूर्त |
जघन्यवत् |
सम्यग्मिथ्यात्व |
... |
|
46-48 |
अंतर्मु. |
गुणस्थान परि |
पल्य/असं. |
प्रवाह क्रम |
|
198-199 |
अंतर्मु. |
गुणस्थान परिवर्तन |
अंतर्मुहूर्त |
जघन्यवत् |
सासादन |
... |
|
49-51 |
1 समय |
मूलोघवत् |
पल्य/असं. |
मूलोघवत् |
|
201-202 |
1 समय |
उपशम सम्यक्त्व में 1 समय शेष रहने पर सासादन |
6 आवली |
उपशम में 6 आवली शेष रहने पर सासादन |
मिथ्यात्व (अभव्य) |
... |
|
44-45 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
203 |
|
अनादि अनंत |
|
|
(भव्य) |
... |
|
44-45 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
203 |
|
अनादि सांत व सादि सांत |
|
|
(सादि सांत) |
... |
|
44-45 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
203 |
अंतर्मु. |
|
कुछ कम अर्ध पु.परि. |
|
सम्यग्दृष्टि सामान्य |
4-14 |
317 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
137 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
क्षायिक सम्य. |
4 |
317 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
137 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
5 |
317 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
137 |
— |
मूलोघवत् |
— |
4 अंतर्मु.+8 वर्ष कम 1 कोड़ पूर्व |
सम्य.देव या नारकी मनुष्यों में उपजा/3 अंतर्मु.गर्भ काल, 8 वर्ष पश्चात् संयमासंयम 1 अंतर्मु.विश्राम, 1 अंतर्मु.क्षपणा काल 1 पूर्व कोड़ की उत्कृष्ट आयु तक रहकर मरा |
|
6-14 |
317 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
137 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
वेदक सम्य. |
4-7 |
318 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
318 |
|
|
|
|
|
उपशम सम्य. |
4-5 |
319-320 |
|
अंतर्मु. |
गुणस्थान परि.(एक जीववत्) |
पल्य/असं. |
प्रवाह क्रम (जघन्यवत्) |
321-322 |
|
अंतर्मु. |
मिथ्या. से उप.सम्य.असंयत अथवा संयतासंयत पुन: सासादन पूर्वक मिथ्या. |
अंतर्मुहूर्त |
जघन्यवत् पर सम्यग्मिथ्यात्व, मिथ्या.या वेदक सम्यक्त्व को प्राप्त कराना सासादन नहीं |
|
6-11 |
323-324 |
|
1 समय |
1 जीववत् |
अंतर्मु. |
प्रवाहक्रम (जघन्यवत्) |
325-326 |
|
1 समय |
यथायोग्य आरोहण व अवरोह क्रम में मरणस्थान वाला भंग (देखें काल - 5) |
अंतर्मुहूर्त |
जघन्यवत् |
सासादन |
2 |
327 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
327 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
सम्यग्मिथ्यात्व |
3 |
328 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
328 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
मिथ्यादृष्टि |
1 |
329 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
329 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
13. संज्ञी मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
||||||||||||
|
|||||||||||||||
संज्ञी |
... |
|
52-53 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
205-206 |
क्षुद्रभव |
भवपरिवर्तन |
सागर शत-पृथक्त्व |
परिभ्रमण |
||
असंज्ञी |
... |
|
52-53 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
208-209 |
क्षुद्रभव |
भवपरिवर्तन |
असं.पु.परिवर्तन |
एकेंद्रियों में परिभ्रमण |
||
संज्ञी |
1 |
330 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
331-332 |
|
अंतर्मु. |
भव या गुणस्थान परिवर्तन |
सागर शत-पृथक्त्व |
परिभ्रमण |
||
|
2-14 |
333 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
333 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
||
असंज्ञी |
1 |
334 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
335-336 |
|
क्षुद्रभव |
भव परिवर्तन |
असं.पु.परिवर्तन |
एकेंद्रियों में परिभ्रमण |
14. आहारक मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
||||||||||||
|
|||||||||||||||
आहारक |
... |
|
54-55 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
211-212 |
3 समय कम क्षुद्रभव |
|
असंख्याता-संख्यात असं.उत्.अवसर्पिणी |
|
||
अनाहारक |
... |
|
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
214-215 |
1 समय |
विग्रह गति |
3 समय |
विग्रह गति |
||
|
|
|
|
|
|
|
|
|
216 |
|
|
अंतर्मुहूर्त |
अयोग केवली |
||
आहारक |
1 |
337 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
338-339 |
|
अंतर्मु. |
गुणस्थान या भव परिवर्तन कर विग्रह |
असं.उत्.अवसर्पिणी |
1 समय के विग्रह सहित भ्रमण |
||
|
2-14 |
340 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
340 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
||
अनाहारक(कार्मा.काययोग) |
1 |
217 |
|
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
218-219 |
|
1 समय |
मारणांतिक समुद्घात पूर्वक 1 विग्रह से जन्म |
3 समय |
जघन्यवत् पर 3 विग्रह से जन्म |
||
|
2,4 |
220-221 |
|
1 समय |
एक जीववत् |
आ./असं |
जघन्यवत् प्रवाह |
222-223 |
|
1 समय |
एक विग्रह से जन्म |
2 समय |
2 विग्रह से उत्पन्न |
||
|
13 |
224-225 |
|
3 समय |
एक जीववत् |
सं.समय |
जघन्यवत् प्रवाह |
226 |
|
3 समय |
कपाट से क्रमश: प्रतर, लोकपूर्ण पुन: प्रतर |
3 समय |
जघन्यवत् |
||
|
14 |
342 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
342 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
— |