घोष
From जैनकोष
ध.१३/५,५,६३/३३६/२ घोषो नाम व्रज:।=घोष का अर्थ व्रज है। म.पु./१६/१७६ तथा घोषकरादीनामपि लक्ष्म विकल्प्यताम् ।=इसी प्रकार घोष तथा आकर आदि के लक्षणों की भी कल्पना कर लेनी चाहिए, अर्थात् जहा̐ पर बहुत घोष (अहीर) रहते हैं उसे (उस ग्राम को) घोष कहते हैं।
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