चंदना
From जैनकोष
(म.पु./७५/श्लोक नं.)–पूर्वभव नं.३ में सोमिला ब्राह्मणी थी।७३। पूर्वभव नं.२ में कनकलता नामकी राजपुत्री थी।८३। पूर्वभव नं१ में पद्मलता नाम की राजपुत्री थी।९८। वर्तमानभव में चन्दना नाम की राजपुत्री हुई।१७०।=वर्तमान भव में राजा चेटक की पुत्री थी, एक विद्याधर काम से पीड़ित होकर उसे हर ले गया और अपनी स्त्री के भय से महा अटवी में उसे छोड़ दिया। किसी भील ने उसे वहा̐ से उठाकर एक सेठ को दे दी। सेठ की स्त्री उससे शंकित होकर उसे कांजी मिश्रित कोदों का आहार देने लगी। एक समय भगवान् महावीर सौभाग्य से चर्या के लिए आये, तब चन्दना ने उनको कोदों का ही आहार दे दिया, जिसके प्रताप से उसके सर्व बन्धन टूट गये तथा वह सर्वांगसुन्दर हो गयी। (म.पु./७४/३३८-३४७)। तथा (म.पु./७५/६-७/३५-७०) (म.पु./७५/श्लो.नं.)–स्त्रीलिंग छेदकर अगले भव में अच्युत स्वर्ग में देव हुआ।१७७। वहा̐ से चयकर मनुष्य भव धारण कर मोक्ष पाएगा।१७७। (ह.पु./२/७०)।
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