चक्रक
From जैनकोष
वादी का बात करते हुए पुन:-पुन: घूमकर वहीं आ जाना चक्रक दोष है: (श्लो.वा/४/न्या.४५९/५५५)।
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वादी का बात करते हुए पुन:-पुन: घूमकर वहीं आ जाना चक्रक दोष है: (श्लो.वा/४/न्या.४५९/५५५)।
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