अभेद्यत्व
From जैनकोष
मुक्त जीव का गुण । यह कर्ममल के नष्ट होने से जीव के प्रदेशों का घनाकार परिणमन होने पर प्रकट होता है । महापुराण 42. 102 देखें मुक्त
मुक्त जीव का गुण । यह कर्ममल के नष्ट होने से जीव के प्रदेशों का घनाकार परिणमन होने पर प्रकट होता है । महापुराण 42. 102 देखें मुक्त