कायोत्सर्ग
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
देखें व्युत्सर्ग - 1।
पुराणकोष से
ध्यान का एक आसन । इसमें शरीर के समस्त अंग सम रखे जाते हैं और आचारशास्त्र में कहे गये बत्तीस दोषों का बचाव किया जाता है । पर्यकासन के समान ध्यान के लिए यह भी एक सुखासन है । इसमें दोनों पैर बराबर रखे जाते हैं तथा निश्चल खड़े रहकर एक निश्चित समय तक शरीर के प्रति ममता का त्याग किया जाता है । महापुराण 21.69-71, हरिवंशपुराण 9.101-102, 111, 22.24, 34.146