गणोपग्रहण
From जैनकोष
गृहस्थ की त्रैपन गर्भान्वय क्रियाओं मे अट्ठाईसवीं क्रिया । इसमें आचार्य श्रुतार्थियों को श्रुताभ्यास कराता है, दीक्षार्थियों को दीक्षित करता है और धर्मार्थियों को धर्म का ज्ञान देता है । इससे असत् वृत्तियों का निवारण और सत्वृत्तियों का प्रचार-प्रसार होता है । महापुराण 38.55-63, 168-171