क्षोभ
From जैनकोष
प्र.सा./ता.वृ./७/९/१३ निर्विकारनिश्चलचित्तवृत्तिरूपचारित्रस्य विनाशकश्चारित्रमोहाभिधान: क्षोभ इत्युच्यते।=निर्विकार निश्चल चित्त की वृत्ति का विनाशक जो चारित्रमोह है वह क्षोभ कहलाता है।
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प्र.सा./ता.वृ./७/९/१३ निर्विकारनिश्चलचित्तवृत्तिरूपचारित्रस्य विनाशकश्चारित्रमोहाभिधान: क्षोभ इत्युच्यते।=निर्विकार निश्चल चित्त की वृत्ति का विनाशक जो चारित्रमोह है वह क्षोभ कहलाता है।
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