गज
From जैनकोष
१.सौधर्म स्वर्ग का २९वाँ पटल व इन्द्रक– देखें - स्वर्ग / ५ / ३ । २. चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में से एक– देखें - शलाकापुरुष / २ । ३. क्षेत्र का प्रमाण विशेष/अपरनाम रिक्कू या किष्कु– देखें - गणित / I / १ / ३ ।
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