(1) श्रावण मास । हरिवंशपुराण 55. 126
(2) अवगाहदान में समर्थ आकाश । पद्मपुराण 4. 39, हरिवंशपुराण 58,54
पूर्व पृष्ठ
अगला पृष्ठ