क्षत्रिय
From जैनकोष
म.पु./१६/२८४, २४३ क्षत्रिया: शस्त्रजीवितम् ।१८४। स्वदोर्भ्यां धारयन् शस्त्रं क्षत्रियानसृजद् विभु:। क्षतात्त्राणे नियुक्ता हि क्षत्रिया: शस्त्रपाणय:।२४३।=उस समय जो शस्त्र धारण कर आजीविका करते थे वे क्षत्रिय हुए।२८४। उस समय भगवान् ने अपनी दोनों भुजाओं में शस्त्र धारण कर क्षत्रियों की सृष्टि की थी, अर्थात् उन्हें शस्त्र विद्या का उपदेश दिया था, सो ठीक ही है, जो हाथों में हथियार लेकर सबल शत्रुओं के प्रहार से निर्बलों की रक्षा करते हैं वे ही क्षत्रिय कहलाते हैं।२४३। (म.पु./१६/१८३); (म.पु./३८/४६)
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