दंड
From जैनकोष
१. चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में से एक– देखें - शलाका पुरुष / २ ;
२.क्षेत्र का प्रमाण विशेष–अपरनाम धनुष, मूसल, युग, नाली– देखें - गणित / I / १ / ३ ।
दंड—१. भेद व लक्षण
चा.सा./९९/५ दण्डस्त्रिविध:, मनोवाक्कायभेदेन। तत्र रागद्वेषमोहविकल्पात्मानसो दण्डस्त्रिविध:। ...अनृतोपघातपैशून्यपरुषाभिशंसनपरितापहिंसनभेदाद्वाग्दण्ड: सप्तविध:। प्राणिवधचौर्यमैथुनपरिग्रहारम्भताडनोग्रवेशविकल्पात्कायदण्डोऽपि च सप्तविध:। =मन, वचन, काय के भेद से दण्ड तीन प्रकार का है, और उसमें भी राग, द्वेष, मोह के भेद से मानसिक दण्ड भी तीन प्रकार का है। ...झूठ बोलना, वचन से कहकर किसी के ज्ञान का घात करना, चुगली करना, कठोर वचन कहना, अपनी प्रशंसा करना, संताप उत्पन्न करने वाला वचन कहना और हिंसा के वचन कहना यह सात तरह का वचन दण्ड कहलाता है। प्राणियों का वध करना, चोरी करना, मैथुन करना, परिग्रह रखना, आरम्भ करना, ताड़न करना और उग्रवेष (भयानक) धारण करना इस तरह कायदण्ड भी सात प्रकार का कहलाता है।
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