भूतवन
From जैनकोष
विजयार्ध पर्वत की पूर्व दिशा और नीलगिरि की पश्चिम की और विद्यमान सुसीमा देश का एक वन । श्रीपाल ने यहाँ सात शिलाखंडों को एक के ऊपर एक रखकर स्वयं चक्रवर्ती होने की सूचना दी थी । महापुराण 47.65-67
विजयार्ध पर्वत की पूर्व दिशा और नीलगिरि की पश्चिम की और विद्यमान सुसीमा देश का एक वन । श्रीपाल ने यहाँ सात शिलाखंडों को एक के ऊपर एक रखकर स्वयं चक्रवर्ती होने की सूचना दी थी । महापुराण 47.65-67