ग्रन्थ:लिंगपाहुड़ देशभाषा वचनिका प्रतिज्ञा
From जैनकोष
दोहा
जिनमुद्राधारक मुनी निजस्वरूपकूं ध्याय ।
कर्म नाशि शिवसुख लियो बन्दूं तिनके पांय ॥१॥
भावार्थ - इसप्रकार मंगल के लिए जिन मुनियों ने शिवसुख प्राप्त किया उनको नमस्कार करके श्रीकुन्दकुन्द आचार्यकृत प्राकृत गाथाबंध लिंगपाहुडनामक ग्रंथ की देशभाषामय वचनिका का अनुवाद लिखा जाता है,