मंत्री
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
त्रिलोकसार/683/ भाषा टीका–मंत्री कहिए पंचांग मंत्र विषै प्रवीण।
पुराणकोष से
(1) राजा का उसके कार्यों में मंत्रणा दाता । इसके दो कार्य होते हैं― हितकारी कार्य में राजा की प्रवृत्ति करना तथा अहितकारी कार्यों को नहीं करने का परामर्श देना । महापुराण 68.115
(2) सौधर्मेंद्र हारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 121