यक्षदेवी
From जैनकोष
जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में शालिग्राम के निवासी यक्ष और उसकी पत्नी देवसेना की पुत्री इसने धर्मसेन मुनि से व्रत ग्रहण कर मासोपवासी एक मुनिराज को आहार दिया था । इसे अंत में एक अजगर ने निगल लिया था जिससे मरकर यह हरिवर्ष भोगभूमि में उत्पन्न हुई । इसके पिता का दूसरा नाम यक्षिल था । यक्ष की आराधना से जन्म होने के कारण यह इस नाम से प्रसिद्ध हुई । महापुराण 71.388-392, हरिवंशपुराण 60.62-67, देखें यक्ष - 6