सौधर्मेंद्र
From जैनकोष
सौधर्म स्वर्ग का इंद्र । यह जिन शिशु को अपनी अंक में बैठाकर सुमेरु पर्वत पर ले जाता है तथा वहाँ एक हजार कलशों से उनका अभिषेक करता है । महापुराण 13.47, वीरवर्द्धमान चरित्र 8.103, 9. 2-18
सौधर्म स्वर्ग का इंद्र । यह जिन शिशु को अपनी अंक में बैठाकर सुमेरु पर्वत पर ले जाता है तथा वहाँ एक हजार कलशों से उनका अभिषेक करता है । महापुराण 13.47, वीरवर्द्धमान चरित्र 8.103, 9. 2-18