सिद्धांतकोष से
सामान्य परिचय
तीर्थंकर क्रमांक |
5 |
चिह्न |
चकवा |
पिता |
मेघरथ |
माता |
मंगला |
वंश |
इक्ष्वाकु |
उत्सेध (ऊँचाई) |
300 धनुष |
वर्ण |
स्वर्ण |
आयु |
40 लाख पूर्व |
पूर्व भव सम्बंधित तथ्य
पूर्व मनुष्य भव |
रतिषेण |
पूर्व मनुष्य भव में क्या थे |
मण्डलेश्वर |
पूर्व मनुष्य भव के पिता |
विमलवाहन |
पूर्व मनुष्य भव का देश, नगर |
धात.वि.पुण्डरीकिणी |
पूर्व भव की देव पर्याय |
वैजयन्त |
गर्भ-जन्म कल्याणक सम्बंधित तथ्य
गर्भ-तिथि |
श्रावण शुक्ल 2 |
गर्भ-नक्षत्र |
मघा |
जन्म तिथि |
चैत्र शुक्ल 11 |
जन्म नगरी |
अयोध्या |
जन्म नक्षत्र |
मघा |
योग |
पितृ |
दीक्षा कल्याणक सम्बंधित तथ्य
वैराग्य कारण |
जातिस्मरण |
दीक्षा तिथि |
वैशाख शुक्ल 9 |
दीक्षा नक्षत्र |
मघा |
दीक्षा काल |
पूर्वाह्न |
दीक्षोपवास |
तृतीय उप. |
दीक्षा वन |
सहेतुक |
दीक्षा वृक्ष |
प्रियङ्गु |
सह दीक्षित |
1000 |
ज्ञान कल्याणक सम्बंधित तथ्य
केवलज्ञान तिथि |
पौष शुक्ल 15 |
केवलज्ञान नक्षत्र |
हस्त |
केवलोत्पत्ति काल |
अपराह्न |
केवल स्थान |
अयोध्या |
केवल वन |
सहेतुक |
केवल वृक्ष |
प्रियंगु |
निर्वाण कल्याणक सम्बंधित तथ्य
योग निवृत्ति काल |
1 मास पूर्व |
निर्वाण तिथि |
चैत्र शुक्ल 10 |
निर्वाण नक्षत्र |
मघा |
निर्वाण काल |
पूर्वाह्न |
निर्वाण क्षेत्र |
सम्मेद |
समवशरण सम्बंधित तथ्य
समवसरण का विस्तार |
10 योजन |
सह मुक्त |
1000 |
पूर्वधारी |
2400 |
शिक्षक |
254350 |
अवधिज्ञानी |
11000 |
केवली |
13000 |
विक्रियाधारी |
18400 |
मन:पर्ययज्ञानी |
10400 |
वादी |
10450 |
सर्व ऋषि संख्या |
320000 |
गणधर संख्या |
116 |
मुख्य गणधर |
वज्र |
आर्यिका संख्या |
330000 |
मुख्य आर्यिका |
अनन्ता |
श्रावक संख्या |
300000 |
मुख्य श्रोता |
मित्रवीर्य |
श्राविका संख्या |
500000 |
यक्ष |
तुम्बुरव |
यक्षिणी |
वज्राङ्कुशा |
आयु विभाग
आयु |
40 लाख पूर्व |
कुमारकाल |
10 लाख पूर्व |
विशेषता |
मण्डलीक |
राज्यकाल |
29 लाख पूर्व+12 पूर्वांग |
छद्मस्थ काल |
20 वर्ष |
केवलिकाल |
1 लाख पू..–(12 पूर्वांग 20 वर्ष) |
तीर्थ संबंधी तथ्य
जन्मान्तरालकाल |
9 लाख करोड़ सागर +10 लाख पू. |
केवलोत्पत्ति अन्तराल |
90,000 करोड़ सागर +3 पूर्वांग 8399980 1/2 वर्ष |
निर्वाण अन्तराल |
90,000 करोड़ सागर |
तीर्थकाल |
90,000 करोड़ सागर +4 पूर्वांग |
तीर्थ व्युच्छित्ति |
❌ |
शासन काल में हुए अन्य शलाका पुरुष |
चक्रवर्ती |
❌ |
बलदेव |
❌ |
नारायण |
❌ |
प्रतिनारायण |
❌ |
रुद्र |
❌ |
महापुराण/ सर्ग/श्लो. महावत्स देश के सुदृष्टि राजा का पुत्र। (10/121-122) पुत्र केशव के मोह से दीक्षा न लेकर श्रावक के उत्कृष्ट व्रत ले कठिन तप किया (10/158)। अंत में दिगंबर हो समाधिमरण पूर्वक अच्युत स्वर्ग में देव हुआ। (10/169)। यह ऋषभदेव का पूर्व का चौथा भव है।-देखें ऋषभदेव ।
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पुराणकोष से
(1) तीर्थंकर वृषभदेव के चौथे पूर्वभव का जीव । यह जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में महावत्स देश की सुसीमा नगरी के राजा सुदृष्टि और रानी सुंदरनंदा का पुत्र था । इसने बाल्यावस्था में ही धर्म का स्वरूप समझ लिया था । इसका विवाह अभयघोष चक्रवर्ती की पुत्री मनोरमा से हुआ था । केशव इसका पुत्र था । पुत्र के स्नेहवश यह गृह जीवन में ही रहा किंतु श्रावक के उत्कृष्ट पद ने स्थित रहकर कठिन तप करने लगा था । जीवन के अंत में इसने दिगंबर दीक्षा ले ली थी तथा समाधिमरणपूर्वक देह त्याग कर यह अच्युत स्वर्ग में इंद्र हुआ । महापुराण 10. 121-124, 143-145, 158, 169-170, हरिवंशपुराण 9.59
(2) नौवें तीर्थंकर पुष्पदंत का अपर नाम । महापुराण 55.1, वीरवर्द्धमान चरित्र 18. 101-106 देखें पुष्णदंत
(3) चक्रवर्ती भरतेश की यष्टि । महापुराण 37.948
(4) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.125
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