GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 161
From जैनकोष
णिच्छयणयेण भणिदो तिहि तेहिं समाहिदो हु जो अप्पा (१६१)
ण कुणदि किंचिवि अण्णं ण मुयदि मोक्खमग्गोत्ति ॥१६९॥
णिच्छयणयेण भणिदो तिहि तेहिं समाहिदो हु जो अप्पा (१६१)
ण कुणदि किंचिवि अण्णं ण मुयदि मोक्खमग्गोत्ति ॥१६९॥