णाणावरणादीया भावा जीवेण सुट्ठु अणुबद्धा ।
तेसिमभावं किच्चा अभूदपुव्वो हवदि सिद्धो ॥२०॥
पूर्व पृष्ठ
अगला पृष्ठ