GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 59
From जैनकोष
भावों जदि कम्मकदो आदा कम्मस्स होदि किह कत्ता (५९)
ण कुणदि अत्ता किंचिवि मुत्ता अण्णं सगं भावं ॥६५॥
भावों जदि कम्मकदो आदा कम्मस्स होदि किह कत्ता (५९)
ण कुणदि अत्ता किंचिवि मुत्ता अण्णं सगं भावं ॥६५॥