GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 100 - अर्थ
From जैनकोष
'काल' ऐसा नाम सद्भाव का प्ररूपक है, अत: नित्य है। दूसरा काल उत्पन्न-ध्वंसी है; तथापि (परम्परा-अपेक्षा) दीर्घान्तरस्थायी / दीर्घकाल तक रहनेवाला भी कहा जाता है।
'काल' ऐसा नाम सद्भाव का प्ररूपक है, अत: नित्य है। दूसरा काल उत्पन्न-ध्वंसी है; तथापि (परम्परा-अपेक्षा) दीर्घान्तरस्थायी / दीर्घकाल तक रहनेवाला भी कहा जाता है।