GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 112 - समय-व्याख्या - हिंदी
From जैनकोष
यह, द्वीइंद्रिय जीवों के प्रकार की सूचना है।
स्पर्शनेन्द्रिय और रसनेन्द्रिय के (इन दो भावेन्द्रियों के) आवरण के क्षयोपशम के कारण तथा शेष इंद्रियों के (तीन भावेन्द्रियों के) आवरण का उदय तथा मन के (भाव-मन के) आवरण का उदय होने से स्पर्श और रस को जानने वाले यह (शंबूक आदि) जीव मन-रहित द्वीइंद्रिय जीव हैं ॥११२॥