GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 113 - समय-व्याख्या - हिंदी
From जैनकोष
यह, त्रीइंद्रिय जीवों के प्रकार की सूचना है।
स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय और घ्राणेन्द्रिय के आवरण के क्षयोपशम के कारण तथा शेष इंद्रियों के आवरण का उदय तथा मन के (-भावमन के) आवरण का उदय होने से स्पर्श, रस और गंध को जानने वाले यह (जू आदि) जीव मन-रहित त्रीइंद्रिय जीव हैं ॥११३॥