GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 39 - अर्थ
From जैनकोष
वास्तव में जीव के सर्वकाल, अनन्यरूप से रहनेवाला, ज्ञान और दर्शन से संयुक्त दो प्रकार का उपयोग जानो ।
वास्तव में जीव के सर्वकाल, अनन्यरूप से रहनेवाला, ज्ञान और दर्शन से संयुक्त दो प्रकार का उपयोग जानो ।